किसान मोर्चे में क्यों नहीं शामिल हुए शिवसेना के नेता?

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और राज्य के अल्पसंख्यक मामले के मंत्री नवाब मलिक ने दावा किया था कि प्रदर्शन में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी शामिल होंगे।

144

केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में महाराष्ट्र भर के किसानों ने मुंबई के आजाद मैदान में प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ ही कांगेस के भी नेता शामिल हुए और किसानों के आंदोलन को अपना समर्थन दिया, लेकिन शिवसेना के किसी भी नेता के इस प्रदर्शन में शामिल नहीं होने को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। पूछा जा रहा है कि कृषि कानूनों के खिलाफ किए जा रहे किसान आंदोलन को शिवसेना का समर्थन है या नहीं। इससे पहले भी बांद्रा में जिलाधिकारी कार्यालय पर भी कृषि कानूनों के खिलाफ मोर्चा निकाला गया था, पास में ही मातोश्री होने के बावजूद उस मोर्चे में किसी भी शिवसेना नेता के शामिल नहीं होने पर भी सवाल उठाए गए थे।

सीएम के शामिल होने का किया गया था दावा
दो दिन पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और राज्य के अल्पसंख्यक मामले के मंत्री नवाब मलिक ने दावा किया था कि प्रदर्शन में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी शामिल होंगे। 25 जनवरी को सुबह ये जानकारी दी गई कि प्रदर्शन में सीएम मौजूद नहीं रहेंगे लेकिन पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे शामिल होंगे। लेकिन मोर्चे में सीएम और पर्यावरण मंत्री तो छोड़िए शिवसेना का कोई भी नेता शामिल नहीं हुआ।

ये भी पढ़ेंः किसानों से क्यों नहीं मिले महामहिम?… जानिये

आदित्य ठाकरे ने दी सफाई
इस बारे में सफाई देते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा कि मोर्चे का नेतृत्व शरद पवार ने किया। मुख्यमंत्री इस बारे में पहले ही कह चुके हैं कि जो लोग मोर्चे में शामिल हो रहे हैं, वे मास्क लगाकर आएं क्योंकि कोरोना अभी गया नहीं है। आदित्य ठाकरे ने कहा कि किसानों के मोर्चे को शिवसेना का पूरा-पूरा समर्थन है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में किसान आंदोलन के 60 दिन से ज्यादा समय होने के बावजूद केंद्र सरकार ने किसानों की सुध नहीं ली। इस पर विचार करने की जरुत है।

ये भी पढ़ेंः जानिये राम सेतु पर आया ये बड़ा निर्णय…

देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा?
इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को काफी समर्थन मिल रहा है। इस बारे में शिवसेना नेताओं को पता चल गया है और उन्हें सद्बुद्धि मिल गई है। इसलिए वे आंदोलन में शामिल नहीं हुए। महाराष्ट्र नें कृषि कानून पहले से ही लागू है। ये बात कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं को मालूम है। इसके बावजूद वे आंदोलन के नाम पर ढोंग कर रहे हैं।

1 फरवरी को संसद भवन की ओर मार्च
इस बीच किसान संगठनों ने 1 फरवरी को दिल्ली के संसद भवन की ओर मोर्च करने का ऐलान कर केंद्र सरकार के साथ ही दिल्ली पुलिस की भी परेशानी बढ़ा दी है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.