पश्चिम बंगाल में लॉटरी टिकट की आड़ में काले धन को सफेद करने के खेल की परतें खुलने लगी हैं। मामले की जांच कर रही सीबीआई ने पता लगाया है कि अणुव्रत मंडल ने जिस लॉटरी टिकट के जरिए एक करोड़ रुपये जीतने के दावे किए थे वह उन्होंने खरीदे ही नहीं थे। हकीकत यह है कि किसी और शख्स ने उस लॉटरी टिकट से एक करोड़ रुपये जीते थे लेकिन तृणमूल नेताओं ने उससे वो टिकट छीन लिया था।
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 25 नवंबर को नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि बोलपुर कैंप में कई लोगों को तलब किया था गया था, जिनमें से एक नूर अली भी था। उसने एक करोड़ रुपये की लॉटरी जीती थी। नूर के पिता कोंटाई ने सीबीआई को बताया है कि लॉटरी में इनाम की घोषणा होने के आठ से 10 दिनों के अंदर अणुव्रत मंडल के बेहद खास पार्षद विश्वजीत बनर्जी घर आए थे और टिकट लेकर चले गए थे। बाद में बेटे को केवल सात लाख रुपये दिए गए। उसके बाद लॉटरी के सारे रुपये तृणमूल नेताओं ने रख लिए थे।
अणुव्रत मंडल ने पूछताछ में यह भी बताया है कि उसने लॉटरी के टिकट खरीदे थे लेकिन टिकट विक्रेता बापी गांगुली ने सीबीआई को बताया कि एक फुटकर विक्रेता ने उनसे टिकट खरीदे थे। वहीं से नूर अली ने टिकट खरीदा था और उसी टिकट के नाम पर लॉटरी जीतने का दावे अणुव्रत मंडल ने किया था। यानी लॉटरी का किसी तरह से कोई संबंध अणुव्रत से नहीं था लेकिन उसकी आड़ में एक करोड़ रुपये जीतने के दावे किए गए हैं, जो अब जांच के घेरे में है।
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