भाजपा का केजरीवाल सरकार से सवाल, मस्जिदों के इमाम को वेतन तो ‘इन्हें’ क्यों नहीं?

दिल्ली वक्फ बोर्ड में पंजीकृत करीब 185 मस्जिदों के 225 इमाम और मुअज्जिन को वेतन दिया जाता है, जिसमें इमाम को 18,000 रुपए और मुअज्जिन को 14,000 रुपए हर महीने दिल्ली सरकार के खजाने से जा रहा है।

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दिल्ली में नगर निगम चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। इस दौरान पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे को घेर रहा है। अब भाजपा ने दिल्ली सरकार को मस्जिदों के इमाम को सैलरी देने को लेकर घेरा है। भाजपा ने केजरीवाल सरकार से पूछा कि जब दिल्ली में मस्जिदों के इमाम को सैलरी दी जा सकती है तो फिर मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारा के ग्रंथियों को वेतन क्यों नहीं दिया जाना चाहिए।

केजरीवाल सरकार हिन्दू विरोधी
दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने केजरीवाल सरकार को हिंदू विरोधी बताते हुए कहा कि यह सरकार कोई ऐसा काम नहीं कर रही है, जिससे हिन्दुओं को फायदा हो। आदेश गुप्ता ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का तकाजा है कि टैक्स के पैसे समाज के किसी एक धर्म पर नहीं खर्च करना चाहिए। इस पैसे पर हर एक धर्म का समान अधिकार है। इसे सिर्फ मस्जिदों के इमाम पर खर्च करना कहां का न्याय है। इस पैसे को मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारा के ग्रंथियों पर क्यों नहीं खर्च किया जा रहा है? मैं दिल्ली सरकार से मांग करता हूं कि जैसे मस्जिद के इमाम को वेतन मिलता है, वैसे ही मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारा के ग्रंथियों को भी सैलरी मिले, इसके लिए सरकार कदम उठाए।

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दिल्ली में इमामों का वेतन
दिल्ली वक्फ बोर्ड में पंजीकृत करीब 185 मस्जिदों के 225 इमाम और मुअज्जिन को वेतन दिया जाता है। जिसमें इमाम को 18,000 रुपए और मुअज्जिन को 14,000 रुपए हर महीने दिल्ली सरकार के खजाने से जा रहा है। दिल्ली वक्फ बोर्ड में अनरजिस्टर्ड मस्जिदों के इमाम को 14,000 और मुअज्जिन को भी 12,000 रुपए हर महीने मानदेय केजरीवाल सरकार दे रही है। मस्जिद के इमाम को वेतन वक्फ बोर्ड के द्वारा दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1993 में अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष मौलाना जमील इलियासी की याचिका पर सुनवाई करते हुए वक्फ बोर्ड द्वारा मैनेजमेंट वाली मस्जिदों में इमामो को सैलरी देने का निर्देश दिया था। दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा और कर्नाटक में भी मस्जिदों के इमाम को वक्फ बोर्ड सैलरी देता है।

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