महाविकास आघाड़ी सरकार के दौरान मुंबई के आग्रीपाड़ा में कौशल विकास केंद्र के लिए आरक्षित जमीन उर्दू शिक्षण केंद्र को दे दी गई। इससे स्थानीय लोगों में भारी रोष है। हिंदुत्वादी संगठन इसके खिलाफ आक्रामक हो गए हैं। महाविकास आघाड़ी सरकार ने मुसलमानों को खुश करने के लिए भूमि आरक्षण में बदलाव किया। इसका भाजपा विधायक नितेश राणे ने कड़ा विरोध किया है। उन्होंने मांग की है कि उर्दू शिक्षण केंद्र के लिए उपलब्ध कराए गए स्थान को फिर से कौशल विकास केंद्र को दिया जाए।
नवाब मलिक के कार्यकाल में लिया गया ये निर्णय
इस मौके पर विधायक नितेश राणे ने कहा कि हम किसी की भाषा और धर्म के खिलाफ नहीं हैं। अगर मुंबई में उर्दू की इमारत बनानी हो तो ऐसी जगह बनवाई जाए, जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा हो। मराठी की जगह हिंदी, उस जगह उर्दू शिक्षा केंद्र क्यों? हमें इसका उत्तर प्राप्त करने की आवश्यकता है। मुंबई में पानी ओवरफ्लो हो गया, सड़कें खराब हो गईं, लेकिन महानगर पालिका को कोई फर्क नहीं पड़ता। महाविकास आघाड़ी के कार्यकाल में मुंबई मनपा ने ‘उर्दू शिक्षण केंद्र’ को महज 10 महीने में अनुमति देकर 12 करोड़ रुपये मुहैया करा दिए। इस स्थान पर कौशल विकास केंद्र स्थापित किया जाना था। इसमें मराठी युवाओं को नौकरी और इसका प्रशिक्षण मिलता। कौशल विकास केंद्र क्यों निरस्त किया गया? इसका जवाब मुंबईकरों को मिलना चाहिए। विधायक नितेश राणे ने कहा कि यह गड़बड़-घोटाला तब किया गया, जब नवाब मलिक कौशल विकास मंत्री थे।
हिंदुत्वादी पार्टियों का आंदोलन
आग्रीपाड़ा में स्थापित किये जाने वाले ‘उर्दू शिक्षण केंद्र’ के विरोध में 4 दिसम्बर को स्थानीय आग्रीपाड़ा संघर्ष समिति की ओर से धरना दिया गया। यहां सुबह 11 बजे आंदोलन शुरू हुआ। इस आन्दोलन में विभिन्न हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। इस मौके पर ‘भारतमाता की जय’, ‘वंदे मातरम’ जैसे नारे दिए गए। आंदोलन की शुरुआत अग्रीपाड़ा के श्री साईबाबा मंदिर से हुई। प्रदर्शनकारियों के कुछ दूर जाने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोक लिया। इस बार विधायक नितेश राणे के आक्रामक रुख अपनाते हुए विरोध को ‘उर्दू शिक्षण केंद्र’ तक ले जाने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां जाने की इजाजत दे दी। विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक शामिल हुए।