दिल्ली नगर निगम में आप को बहुमत लेकिन भाजपा का मेयर?

एमसीडी चुनाव में दल-बदल विरोधी कानून लागू नहीं होना आम आदमी पार्टी के लिए असली खतरा है।

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अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली नगर निगम चुनाव में बहुमत हासिल करते हुए बड़ी सफलता हासिल की है। एमसीडी में आप को बहुमत मिला है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि मेयर भाजपा का बी बनेगा।

 चौंकाने वाली रणनीति अपनाएगी बीजेपी?
दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता तजिंदरपाल सिंह बग्गा ने ट्वीट कर कहा, ‘दिल्ली में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी का मेयर चुना जाएगा।’ उसके बाद सोशल मीडिया पर यह दावा किया जाने लगा कि अगर एमसीडी में ‘आप’ को बहुमत मिलता है तो भी दिल्ली का मेयर बीजेपी का ही होगा।

ये है तर्क
इसके पीछे कई तर्क हैं। एक तर्क यह है कि दिल्ली के उपराज्यपाल 12 नगरसेवकों को मनोनीत करेंगे। इसलिए बीजेपी के पार्षदों की संख्या 116 होगी। इसके साथ ही लोगों का यह भी तर्क है कि आप में पार्षद ज्यादा होंगे, लेकिन वे क्रॉस वोटिंग करेंगे और बीजेपी को मेयर चुनने में मदद करेंगे। वहीं कुछ लोग चर्चा कर रहे हैं कि पार्षद भाजपा में शामिल हो गए हैं क्योंकि दल-बदल विरोधी कानून पार्षदों पर लागू नहीं होता है।

ये हो सकते हैं बीजेपी के मेयर!
एमसीडी चुनाव में दल-बदल विरोधी कानून लागू नहीं होना आम आदमी पार्टी के लिए असली खतरा है। सांसद और विधायक सदन में पार्टी की सहमति के बिना अपनी मर्जी से दल नहीं बदल सकते हैं या किसी मुद्दे पर मतदान नहीं कर सकते हैं। हालांकि, यह नियम महापौरों, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं के प्रमुखों और नगरसेवकों पर लागू नहीं होता है।

भाजपा इन प्रदेशों में कर चुकी है ये कारनामा
भाजपा ने अन्य पार्टियों के विधायकों के समर्थन से आसानी से गोवा, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सरकारें बना लीं। गोवा और मध्य प्रदेश में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी, तब भी कांग्रेस वहां सरकार बनाने में नाकाम रही और बीजेपी ने सत्ता पर कब्जा कर लिया। एमसीडी चुनाव में आप को 134 जबकि बीजेपी को 104 सीटें मिली हैं। दिल्ली एमसीडी के लिए 4 दिसंबर 2022 को हुए मतदान में कुल 1,349 उम्मीदवार खड़े थे। एमसीडी में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के पास 126 या इससे ज्यादा का होना जरूरी है।

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