सर्वोच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान बेंच महाराष्ट्र में शिवसेना विवाद पर 10 जनवरी को सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान बेंच ने दोनों पक्षों को निर्देश दिया कि वे एक संक्षिप्त नोट दाखिल करें कि नबाम रेबिया के फैसले के पुनर्विचार के लिए सात जजों की बेंच को रेफर किया जाए कि नहीं।
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मामले में नबाम रेबिया बनाम डिप्टी स्पीकर में संविधान बेंच की ओर से 2016 में दिए गए फैसले पर विचार करने के लिए सात जजों की बेंच को रेफर करने की जरूरत है। नबाम रेबिया में पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था कि एक स्पीकर अयोग्यता की कार्यवाही शुरू नहीं कर सकता है, अगर उसे हटाने का प्रस्ताव लंबित हो। सिब्बल ने कहा कि पांच जजों की बेंच को जिन मसलों को रेफर किया गया है, यह मुद्दा भी उनमें से एक है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि यह पांच जजों की बेंच को तय करना है कि मामले को सात जजों की बेंच को भेजा जाए और इस मुद्दे पर दलीलें रखी जा सकती हैं। दोनों पक्ष इस मुद्दे पर संक्षिप्त नोट प्रस्तुत करें।
इस तरह चली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने 27 सितंबर को उद्धव गुट की याचिका खारिज करते हुए पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर निर्वाचन आयोग की कार्रवाई रोकने से इनकार कर दिया था। संविधान बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एम आर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हीमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त को शिवसेना का मामला 5 जजों की संविधान बेंच को सौंप दिया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कहा था कि संविधान बेंच तय करेगी कि क्या स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव लंबित हो तो वह अयोग्यता पर सुनवाई कर सकते हैं। पार्टियों के आंतरिक लोकतंत्र और उसमें चुनाव आयोग की भूमिका पर भी संविधान बेंच विचार करे।
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