गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा होने के बाद पूरे देश में आंदोलन को समर्थन दे रहे किसान नेताओं के खिलाफ नाराजगी देखी जा रही है। इस बीच सिंघु बॉर्डर पर स्थानीय लोगों का गुस्सा देखने को मिला है। उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों को हाइवे खाली करने को लेकर 28 जनवरी को आंदोलन किया और उनके प्रति अपनी नाराजगी का इजहार किया।
तिरंगा लेकर स्थानीय लोगों ने निकाला मोर्चा
दिल्ली पुलिस द्वारा शुरू की गई कार्रवाई से सिंघु-बॉर्डर से लेकर गाजीपुर तक विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों में फूट पड़ने की बात कही जा रही है। सिंघु बॉर्डर पर किसानों के विरोध में आंदोलन कर रहे स्थानीय लोगों के हाथों में तिरंगा थे और वे किसानों को हाइवे खाली करने के लिए नारेबाजी कर रहे थे। बता दें कि 28 जनवरी को किसानों के आंदोलन के 64वां दिन है।
#WATCH | Delhi: Group of people claiming to be locals gather at Singhu border demanding that the area be vacated.
Farmers have been camping at the site as part of their protest against #FarmLaws. pic.twitter.com/7jCjY0ME9Z
— ANI (@ANI) January 28, 2021
स्थानीय लोग नाराज
पिछले दो महीने से ज्यादा समय से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर विरोध कर रहे किसानों की वजह से स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनके सड़कों पर जमे होने की वजह से वाहनों के आने-जाने में परेशानी हो रही है, वहीं उनकी वजह से क्षेत्र में शोरगुल और अशांति भी फैली हुई है। इसके साथ ही 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा को भी लोग देशविरोधी गतिविधि मान रहे हैं।
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इन संगठनों ने आंदोलन वापस लिया
इस बीच दो किसान संगठनों राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन( भानू) ने आंदोलन वापस ले लिया है। लेकिन राकेश टिकैत की भारतीय किसान यूनियन अभी भी आंदोलन पर अड़ी हुई है।
एक्शन में दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस ने लाल किले पर हिंसा को घोर निंदनीय और राष्ट्रविरोधी कृत्य बताया है। पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि हिंसा में शामिल किसानों और अन्य लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्हें जारी किए गए नोटिस में ट्रैक्टर परेड के समझौते का भी हवाला दिया गया है। पुलिस कमिश्नर ने किसान नेता दर्शन पाल से अपने उन नेताओं के नाम बताने को कहा है, जो हिंसा में शामिल थे।