टीबी (क्षय रोग) एक घातक संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होता है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि टीबी ज्यादातर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। जब क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई उत्पन्न होता है, जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। ये ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई कई घंटों तक वातावरण में सक्रिय रहते हैं। जब एक स्वस्थ्य व्यक्ति हवा में घुले-मिले इन माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई के संपर्क में आता है तो वह इससे संक्रमित हो सकता है।
क्षय रोग सुप्त और सक्रिय अवस्था में होता है। सुप्त अवस्था में संक्रमण तो होता है लेकिन टीबी का जीवाणु निष्क्रिय अवस्था में रहता है और कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। अगर सुप्त टीबी का मरीज अपना इलाज नहीं कराता है तो सुप्त टीबी सक्रिय टीबी में बदल सकता है।
टीबी (क्षय रोग) के लक्षण
लगातार तीन हफ्तों से खांसी का आना और आगे भी जारी रहना। खांसी के साथ खून का आना। छाती में दर्द और सांस का फूलना। वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना। शाम को बुखार आना और ठण्ड लगना। रात में पसीना आना।
एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि टीबी के जीवाणुओं को मारने के लिए और इसका उपचार करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। टीबी के उपचार में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली दो एंटीबायोटिक्स आइसोनियाजिड और रिफाम्पिसिन हैं, और उपचार कई महीनों तक चल सकता है। सामान्य टीबी का उपचार 6 से 9 महीने में किया जाता है। इन छह महीनों में पहले दो महीने आइसोनियाजिड, रिफाम्पिसिन, इथाम्बुटोल और पायराजीनामाईड का उपयोग किया जाता है। इसके बाद इथाम्बुटोल और पैराजिनामाइड ड्रग्स को बंद कर दिया जाता है बाकी के 4-9 महीने आइसोनियाजिड और रिफाम्पिसिन का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही टीबी के इलाज के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन इंजेक्शन का भी उपयोग किया जाता है।
मरीज ऐसे रखें ध्यान
टीबी रोग से संक्रमित रोगी को खांसते वक्त मुंह पर कपड़ा रखना चाहिए, और भीड़-भाड़ वाली जगह पर या बाहर कहीं भी नहीं थूकना चाहिए। साफ-सफाई का ध्यान रखने के साथ-साथ कुछ बातों का ध्यान रखने से भी टीबी के संक्रमण से बचा जा सकता है। ताजे फल, सब्जी और कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, फैट युक्त आहार का सेवन कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। अगर व्यक्ति की रोक प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो भी टीबी रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है।