फ्रांस से डील के तहत फाइटर जेट राफेल की डिलीवरी पूरी गई है। भारत में आखिरी और 36वें राफेल विमान की लैंडिंग के साथ ही देश को 36 राफेल लड़ाकू मिल गए। एयर फोर्स ने बताया कि फ्रांस से उड़ान भरने के बाद राफेल को यूएई वायु सेना के टैंकर विमान से आसमान में ही रिफ्यूल किया गया। लगभग आठ हजार किलोमीटर की नॉनस्टॉप उड़ान पूरी कर भारत में लैंडिंग की। एक ट्वीट में भारतीय वायुसेना ने फ्रांस और यूएई की वायुसेना को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
2016 में हुई थी डील
भारत ने 2016 में फ्रांस के साथ 36 विमानों की खरीद के लिए एक अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारतीय वायु सेना का राफेल करीब 60 हजार फीट प्रति मिनट की दर से ऊंचाई चढ़ सकता है और करीब 2,223 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। इसका कुल वजन 10 टन है। यह करीब 24.5 टन वजन के हथियार लेकर उड़ सकता है। रेंज यानी मारक क्षमता के मामले में राफेल की रेंज करीब 3700 किमी है। राफेल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम सेमी-स्टेल्थ लड़ाकू विमान है। एक स्क्वाड्रन में 18 विमान शामिल होते हैं, जिसमें 16 युद्धक और दो ट्रेनर विमान होते हैं।
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जुलाई 2020 में भारत आया था पहला जत्था
वायुसेना को मिले 36 राफेल विमानों में से 30 युद्धक विमान और छह प्रशिक्षण विमान हैं। फ्रांसीसी कम्पनी से पांच राफेल जेट का पहला जत्था 29 जुलाई, 2020 को अंबाला एयरबेस पहुंचा था। भारतीय वायुसेना ने औपचारिक रूप से इन फाइटर जेट्स को अपने बेड़े में 10 सितंबर, 2020 को शामिल किया था। राफेल फाइटर जेट की पहली स्क्वाड्रन अंबाला में बनाई गई है, जिसे ‘गोल्डन एरो’ नाम दिया गया है। पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के बीच राफेल फाइटर जेट की मिसाइल स्कैल्प को पहाड़ी इलाकों में अटैक करने के लिहाज से अपग्रेड किया गया है। एलएसी पर चीन से तनातनी के बीच भारत ने राफेल लड़ाकू विमानों को लद्दाख के फ्रंट लाइन एयरबेस पर तैनात किया है। भारत को मिला 36वां राफेल दूसरी स्क्वाड्रन का हिस्सा होगा।