उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाविकास आघाड़ी के 17 दिसंबर को होने वाले महामोर्चा को गृह विभाग ने उनकी मांग के अनुसार अनुमति दी है। इस मोर्चे में महाविकास आघाड़ी के नेताओं को शहर की कानून व्यवस्था को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
देवेंद्र फडणवीस ने 16 दिसंबर को पत्रकारों को बताया कि महाविकास आघाड़ी ने जिस मार्ग से मोर्चा निकालने की मांग की थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन महाविकास आघाड़ी महापुरुषों के अपमान के नाम पर यह महामोर्चा निकाल रही है, जबकि महाविकास आघाड़ी के कई नेता खुद महापुरुषों का और साधुसंतों का अपमान कर रहे हैं। इन नेताओं को इस पर भी ध्यान देना चाहिए।
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इनके बयानों से नाराज है विपक्ष
दरअसल, महाविकास आघाड़ी की ओर से छत्रपति शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी की ओर अपमानजनक व्यक्तव्य के विरोध में शनिवार को महामोर्चा निकाले जाने की घोषणा की गई है। इस मोर्चे की अनुमति पुलिस ने 16 दिसंबर की सुबह तक नहीं दी थी। इसी वजह से विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने कहा था कि लोकशाही शासन व्यवस्था में मोर्चा निकाला जाना जनता का अधिकार है और हम कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी का निवर्हन करने के लिए तैयार हैं। पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि अगर महामोर्चे को अनुमति नहीं दी गई तो भी महामोर्चा निकाला जाएगा। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के प्रवक्ता संजय राऊत ने 16 दिसंबर की सुबह कहा कि सरकार शायद पिछले दरवाजे से आपातकाल लागू करना चाहती है, इसी वजह से महामोर्चे को अनुमति नहीं दे रही है, लेकिन महामोर्चा किसी भी कीमत पर निकाला जाएगा।