नागपुर में शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही महाराष्ट्र कर्नाटक सीमा विवाद पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। जिसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस पर स्पष्टीकरण दिया, इसके दूसरी ओर बेलगांव सीमा पर महाविकास आघाड़ी की ओर से प्रवेश का प्रयत्न किया गया।
सत्र का पहला दिन हंगामे के साथ शुरू हुआ। विधान सभा की सीढ़ियों पर विपक्षी विधायकों ने ‘पचास खोखे, एकमद ओके’ के बैनर लगाकर नारेबाजी की। इसके बाद सदन का कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने सदन में हंगामा किया। जिसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सदन का आश्वस्त करते हुए सभी दलों से महाराष्ट्र कर्नाटक सीमा विवाद पर एकत्र होकर काम करने का आह्वान किया।
बे-लगाम राजनीति
महाराष्ट्र एकीकरण समिति द्वारा बेलगांव में महासम्मेलन आयोजित किया गया। इसकी अनुमति कर्नाटक सरकार ने नकार दी है, इसके बाद भी महाराष्ट्र की विपक्षी महाविकास आघाड़ी सरकार के नेताओं ने बेलगांव में प्रवेश करने की कोशिश की। जिसके बाद इन नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। कर्नाटक सरकार ने धारा 144 लगा दी थी।
महाराष्ट्र कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई भी थे। इसके बाद दोनों ही राज्यों को गृहमंत्री ने शांति बनाए रखने की सलाह दी और सर्वोच्च न्यायालय में इस मुद्दे से संबंधित लंबित प्रकरण का निर्णय आने तक प्रतीक्षा करने को कहा। इसके बाद भी बे-लगाम राजनीति प्रकरण को उलझाने में लगी है या सुलझाने में यह उद्देश्य स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
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छोटे ठाकरे को गुस्सा आया
नौनो आंदोलन के प्रश्न पर आदित्य ठाकरे आक्रोषित दिखे। उन्होंने कहा कि, नैनो परियोजना तो नागपुर में लाओ। कर्नाटक में चुनाव है इसलिए महाराष्ट्र के कुछ जिलों को कर्नाटक में मिलाना है, ऐसे ही गुजरात चुनाव थे, उस समय उद्योगों को गुजरात ले जाया गया था। सीमा विवाद और कर्नाटक सीमा विवाद पर यह सरकार कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। चुनौती देता हूं मुख्यमंत्री इन मुद्दों पर मुझसे आकर बहस करें।