महाराष्ट्र लोकायुक्त विधेयक 2022 विधान सभा में पास, मंत्री से लेकर संतरी तक सब पर कसेगा शिकंजा

महाराष्ट्र में लोकायुक्त नियुक्ति के लिए अन्ना हजारे की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी ने अपने सुझाव राज्य सरकार को दिये थे, जिस पर पिछली सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया था। परंतु, अब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए इसे स्वीकार कर लिया है।

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नागपुर सत्र में शिंदे-फडणवीस सरकार ने अन्ना हजारे की मांग को मान लिया है। सत्र में विपक्ष के सभात्याग के बाद भी लोकायुक्त विधेयक को मंजूर कर लिया गया। विपक्ष युति सरकार के मंत्री अब्दुल सत्तार के त्यागपत्र की मांग पर हंगामा करते हुए सभात्याग किया है।

बता दें कि, नागपुर में हो रहे शीत सत्र में महाराष्ट्र लोकायुक्त विधेयक 2022 के सदन में प्रस्तुत करने की घोषणा पहले ही सरकार की ओर से की गई थी। बुधवार को सदन से विपक्ष ने हंगामा करते हुए वॉकआउट किया उसके बाद भी कार्रवाई लगातार चलती रही और विधान सभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने उपस्थित सदस्यों से पूथा कि, क्या महाराष्ट्र लोकायुक्त विधेयक 2022 को प्रस्तुत किया जाएगा? जिसके बाद सररकार की ओर से इस पर सहमित मिली और विधेयक को एकमत से मंजूर कर लिया गया।

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मुख्यमंत्री की भी जांच
अन्ना हजारे द्वारा दिये गए सुझाव में मुख्यमंत्री को भी लोकायुक्त की जांच के दायरे में रखा गया है। लोकायुक्त के रूप में पांच पदों पर कार्य कर चुके लोगों को शामिल किया जा सकता है, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश का समावेश है। अन्ना हजारे ने दिल्ली में अपनी संस्था इंडिया अगेंस्ट करप्शन के झंडे तले 5 अप्रैल 2011 को दिल्ली के जंतर मंतर पर भूख हड़ताल आंदोलन किया था, जिसमें भ्रष्टाचार को समूल से नष्ट करने के लिए जन लोकपाल विधेयक लाने की मांग की गई थी। अन्ना के उस आंदोलन में सहभागी हुए कार्यकर्ता बाद में नेता बन गए और अपने दल बना लिये। वर्तमान में वे सत्ता में भी हैं, लेकिन जन लोकपाल कानून और भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की बातें मात्र बातें ही साबित हुई हैं।

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