अलविदा 2022ः कानून-व्यवस्था के मामले में एक नंबर रही योगी सरकार

योगी सरकार के सख्त तेवर और जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत की गई पुलिस कार्रवाई का आलम यह रहा कि अपराधी या तो राज्य छोड़कर चले गए या फिर आत्मसमपर्ण करने को मजबूर हो गए।

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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए वर्ष 2022 कानून व्यवस्था के मामले में बेहतर रहा। इसका एक कारण कमिश्नरी प्रणाली की सफलता भी है। योगी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में राज्य की कानून व्यवस्था को ठीक करने के मद्देनजर ही यह प्रणाली लागू की। यही वजह रही कि दोबारा सरकार बनते ही योगी ने तीन और जिलों में कमिश्नरी प्रणाली लागू कर प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के क्रम को जारी रखा। सरकार के सख्त तेवर और पुलिस कार्रवाई का आलम यह रहा कि अपराधी स्वयं आत्मसमपर्ण कर अपराध न करने की कसम खाते दिखे।

वर्तमान समय में योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गाजियाबाद, प्रयागराज, आगरा और गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में कमिश्नरी प्रणाली लागू है। मुख्यमंती योगी आदित्यनाथ ने जब प्रदेश की बागडोर संभाली थी तो उनके लिए अपराध को रोकना एक चुनौती थी। सरकार ने इस चुनौती को स्वीकारा और चार जिले लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और गाजियाबाद में कमिश्नरी प्रणाली लागू की थी। नतीजा यह रहा कि इन जिलों में यह पुलिस आयुक्तों की तैनाती के बाद अपराध में काफी गिरावट आई। कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद बेहतर नतीजे आने पर सरकार ने प्रयागराज, आगरा और गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में कमिश्नरी प्रणाली लागू की है।

उत्तर प्रदेश में सबसे पहले 13 जनवरी 2020 को लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई थी। लखनऊ में सुजीत पांडे और नोएडा में आलोक सिंह को पहला पुलिस आयुक्त बनाया गया था। इसके बाद 26 मार्च 2021 को कानपुर और वाराणसी में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई थी। प्रदेश में दोबारा योगी सरकार बनने के बाद शासन ने प्रयागराज, आगरा और नोएडा में कमिश्नरी प्रणाली लागू की। जब से इन जिलों में पुलिस आयुक्तों की तैनाती हुई है अपराध में काफी कमी देखने को मिली है। जब कमिश्नरी प्रणाली लागू हुई थी तो थानों को जोन में बांटा गया था। ग्रामीण क्षेत्र के थानों की जिम्मेदारी एसपी रैंक के अधिकारियों के पास थी, लेकिन इसी साल कुछ माह पूर्व कमिश्नरी प्रणाली में रिस्पांस अच्छा मिलने पर ग्रामीण क्षेत्र के थानों को भी कमिश्नरेट में शामिल कर लिया गया था।

राज्य सरकार ने कमिश्नरी प्रणाली को लागू किया तो कानून व्यवस्था की दृष्टि से थाने भी बढ़ाए गए। लखनऊ में बीबीडी, बिजनौर, गाजीपुर, सैरपुर, गाजीपुर गोमतीनगर विस्तार, मदेयगंज, रहीमाबाद और इसी तरह कानपुर नगर में गुजैनी, हनुमंत विहार, जाजमऊ सजेती, सचेंडी और चौबेपुर में महिला थाना रावतपुर बनाया गया। कुछ नए थाने बने तो कुछ चौकियों को ही थाना में परिवर्तित कर थानेदारों की तैनाती की है।

योगी सरकार के सख्त तेवर और जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत की गई पुलिस कार्रवाई का आलम यह रहा कि अपराधी या तो राज्य छोड़कर चले गए या फिर आत्मसमपर्ण करने को मजबूर हो गए। अपराधियों ने पुलिस के समक्ष सरेंडर किया और यह कसम भी खाई कि अब जीवन में कभी अपराध नहीं करेंगे।

अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि जिन जिलों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू की गई वहां से परिणाम अच्छे आ रहे हैं। जरूरत पड़ने पर अन्य जिलों में भी कमिश्नरी प्रणाली लागू की जाएगी। राज्य सरकार की मंशा के अनरूप उत्तर प्रदेश पुलिस कार्य कर रही है। आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की प्रदेश में कोई जगह नहीं है।

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