अलविदा-2022 : आपदा के समय नवाचार में एमपी रहा अव्वल, केंद्र ने ये अवार्ड देकर किया सम्मानित

कोरोना महामारी के महासंकट के बीच मध्य प्रदेश सरकार जन सेवार्थ खड़ी रही।

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कोरोना महामारी के महासंकट के बीच मध्य प्रदेश सरकार जिस तरह से जन सेवार्थ खड़ी रही, उसके लिए 2022 के आरंभ में ही प्रदेश को उसके इस त्याग और समर्पण के लिए भारत सरकार एवं अन्य सम्माननीय प्रतिष्ठानों से प्रोत्साहन एवं पुरस्कारों से नवाजा गया। जिसमें से एक प्रमुख रहा ‘प्रवासी श्रमिक एवं रोजगार सेतु पोर्टल’ को डिजिटल इंडिया अवार्ड 2020 ‘ मिलना।

दरअसल ‘आपदा के समय नवाचार’ श्रेणी में यह पुरस्कार मध्य प्रदेश को प्रदान किया गया। भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त यह अवार्ड श्रम विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव के नेतृत्व में श्रम आयुक्त आशुतोष अवस्थी, उप सचिव छोटे सिंह, संचालक एन.आई.सी. सुनील जैन तथा अपर श्रमायुक्त प्रभात दुबे ने प्राप्त किया था।

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान अन्य राज्यों से वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर श्रमिक परिवारों के सदस्यों के चिन्हांकन, पंजीयन, आर्थिक व अन्य सहायता उपलब्ध कराने और पलायन संबंधित समस्याओं के दीर्घकालिक समाधान कराने के उद्देश्य से एनआईसी के तकनीकी सहयोग से प्रवासी श्रमिक मोबाईल एप, प्रवासी श्रमिक पोर्टल एवं रोजगार सेतु पोर्टल प्रारंभ किया गया था।

प्रवासी श्रमिकों को आर्थिक एवं पलायन संबंधित समस्याओं का समाधान करने के लिए उनके दक्षता, कौशल व अनुभव के अनुसार उनके क्षेत्र में ही रोजगार प्रदान करने, पलायन समाप्त करने तथा नियोक्ताओं को उन्ही के क्षेत्र में श्रमिक उपलब्ध कराने का कार्य रोजगार सेतु पोर्टल के माध्यम से सफलतापूर्वक किया गया। रोजगार सेतु पोर्टल के डाटाबेस के आधार पर पंचायत सचिव व वार्ड प्रभारी के सहयोग से सात लाख 40 हजार प्रवासी श्रमिकों और उनके पांच लाख 90 हजार 422 सदस्यों को चिन्हांकित कर सत्यापन और पंजीयन किया गया। इसके आधार पर प्रवासी श्रमिकों को आत्मनिर्भर भारत योजना में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खद्यान उपलब्ध कराया गया। इन प्रवासी श्रमिकों के पांच से 18 वर्ष के कुल दो लाख 06 हजार 425 बच्चों को शिक्षा विभाग के माध्यम से शिक्षा से जोड़ने का कार्य किया गया।

इतना ही नहीं तो कोविड-19 महामारी के कारण दूसरे राज्य के निर्माण श्रमिकों, जो मध्यप्रदेश में लॉकडाउन के समय रुके थे, ऐसे 6671 श्रमिकों को प्रति श्रमिक 1000 के मान से 66 लाख 71 हजार रुपये का भुगतान मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मण्डल द्वारा उनके खातों में डीबीटी के माध्यम से भुगतान किया गया। राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन अवधि में प्रदेश में आठ लाख 85 हजार 89 श्रमिकों को प्रति श्रमिक 2000 के मान से कुल राशि 177 करोड़ रूपये का राज्य स्तर से सिंगल क्लिक के माध्यम से ऑनलाईल ई-पेमेंट किया गया।

प्रदेश सरकार द्वारा प्रवासी श्रमिकों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए जिला स्तर पर कई रोजगार मेलों का आयोजन किया जा चुका है और मध्य प्रदेश राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग का भी गठन किया गया है। आयोग राज्य के प्रवासी श्रमिकों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए सरकार को आवश्यक सुझाव प्रस्तुत करता है।

इसके साथ ही श्रमिकों को पात्रतानुसार संबल योजना से भी जोड़ने की कार्यवाही आरंभ की गई है। पोर्टल पर अब तक एक करोड़ 44 लाख 59 हजार 546 लोगों के पंजीकरण हो चुका है। संबल योजना में तत्काल ही एक लाख 90 हजार 644 श्रमिकों का पंजीयन तथा भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल के अंतर्गत 43584 श्रमिकों का पंजीयन किया जाकर श्रमिकों को पत्रतानुसार मण्डल की संचालित योजनाओं का लाभ दिया गया।

इनका कहना है-
श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह का इस संबंध में कहना है कि प्रदेश में इस नवाचार से रोजगार के नये अवसर सृजित होने के साथ-साथ नियोक्ताओं को भी उनकी आवश्यकतानुसार कुशल श्रमिक आसानी से उनके क्षेत्र में मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल एप और ऑनलाइन व्यवस्था का प्रभावी उपयोग कर कोरोना महामारी में भी श्रमिकों के कल्याण के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने वाला मध्य प्रदेश पहला राज्य है। यही कारण है कि रोजगार सेतु पोर्टल को डिजिटल इंडिया 2020 अवार्ड भारत सरकार द्वारा दिया गया।

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