उद्योगों के राज्य से बाहर जाने की आलोचना करने वालों को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने करारा जवाब दिया है। शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र में जो उद्योग आ रहे थे, जो उनसे कमीशन मांग रहे थे, उनकी जांच की जाएगी। समझा जा रहा है कि उनका इशारा पूर्व उद्योग मंत्री सुभाष देसाई की ओर है।
सदन में जवाब देते हुए शिंदे ने कहा, “एक फैक्ट्री में कर्मचारी आया, उसे डेढ़ साल तक घुमाया गया। मैंने उसके सामने फोन किया और तुरंत काम शुरू हो गया। इसे लेकर अनिल अग्रवाल का ट्वीट भी आया। हमारी कोशिश है कि प्रदेश की कोई भी फैक्ट्री कहीं और न जाए। 44 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट अकेले विदर्भ को दिए गए हैं। इसमें 45 हजार नौकरियां मिलेंगी। हम गढ़चिरौली में एक खनिज प्रसंस्करण परियोजना भी स्थापित करेंगे।”
ढाई साल में उन्हें एक ही प्रोजेक्ट की मंजूरी मिली। पिछले छह महीनों में, हमने 18,000 करोड़ रुपये की मंजूरी हासिल की है। इसलिए हम इस बात की जानकारी लेकर आएंगे कि इंडस्ट्री बाहर जाने के लिए कौन जिम्मेदार है। इसके अलावा, एमआईडीसी सीट के संबंध में अतुल भातखलकर द्वारा सामने लाई गई जानकारी की जांच एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा की जाएगी।”
…फिर मोदी को कॉल किया
-उद्योगों के आने-जाने की तैयारी है, परमिट हैं। यह स्पष्ट है कि उद्योग के बाहर निकलने के लिए कौन जिम्मेदार था।
मैंने उस वक्त प्रधानमंत्री मोदी को वेदांता-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट के बारे में फोन किया था। तब मोदी ने कहा कि शिंदे जी कोई भी बड़ा उद्योग दो-तीन महीने में इधर से उधर नहीं जाता।
-उद्योग को वहां सरकार की ओर से कोई प्रतिसाद नहीं मिली। उन्हें क्या लगता है कि सरकार बदलेगी? शिंदे ने सदन में बताया कि मोदी ने उनसे कहा कि वे उद्योग बाहर चले गए हैं।
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