रक्षा मंत्रालय ने 100 के-9 वज्र-टी सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर तोप की खरीद शुरू की है। शीघ्र ही अनुबंध वार्ता शुरू करने के लिए एलएंडटी को प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी किया गया है। चीन सीमा पर तैनात करने के लिए इन 100 तोपों में विशेष रूप से कई बदलाव किये जाएंगे। 38 किलोमीटर दूर तक मारक क्षमता वाली यह के-9 वज्र तोप 15 सेकंड में 3 गोले दाग सकती है। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत दक्षिण कोरिया की कंपनी के सहयोग से इन तोपों का निर्माण गुजरात के सूरत में किया गया है।
रक्षा मंत्रालय ने 2017 में दक्षिण कोरिया की कंपनी हानवा टेकविन से के-9 वज्र-टी 55 मिमी/52 कैलिबर तोपों की 100 यूनिट (पांच रेजिमेंट) आपूर्ति के लिए 4 हजार 500 करोड़ रुपये का करार किया था। इसमें 10 तोपें पूरी तरह से तैयार हालत में मिली थीं, जिन्हें नवम्बर, 2018 में सेना में शामिल किया गया था। बाकी 90 टैंक ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) कंपनी ने सूरत (गुजरात) के हजीरा में तैयार किये हैं। फैक्टरी में तैयार किया गया 100वां टैंक एलएंडटी ने 18 फरवरी, 2021 को सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे को सौंपा था।
चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को दिया गया शुरुआती 100 तोपों का ऑर्डर मूल रूप से रेगिस्तान के लिए था, लेकिन चीन की ओर से पूर्वी लद्दाख सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों की तैनाती के जवाब में भारत ने भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एक रेजिमेंट यानी 20 के-9 वज्र तोपों की तैनाती की है। सेना अब पहाड़ी इलाकों में तैनाती के लिए अलग से 100 के-9 वज्र ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड हॉवित्जर का ऑर्डर देने की तैयारी कर रही है। रक्षा मंत्रालय ने शीघ्र ही अनुबंध वार्ता शुरू करने के लिए एलएंडटी को प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी किया है।
बढ़ते तनाव के कारण लिया गया ये निर्णय
हालांकि, के-9 वज्र ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड हॉवित्जर का पिछला ऑर्डर पूरा हो जाने के बाद नया ऑर्डर दिए जाने के लिए कोई प्रारंभिक योजना नहीं थी, लेकिन चीन के साथ तनाव को देखते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। चीन सीमा पर तैनात करने के लिए इन 100 तोपों में विशेष रूप से कई बदलाव किये जाने हैं। इसलिए अगले 100 वज्रों के लिए लागत मानदंड पर काम किया जाना बाकी है, लेकिन प्रक्रिया जारी है। एलएसी पर सेना ने एम-777 होवित्जर तोपों को भी तैनात किया है।अमेरिका से ली जा रही एम-777 तोपों की कुल 7 रेजिमेंट बननी हैं, जिनमें तीन रेजिमेंट बन गई हैं। चौथी रेजिमेंट बनने की प्रक्रिया में है। दोनों गन सिस्टम की एक दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती है क्योंकि दोनों की अपनी अनूठी क्षमता है।