इज्रायली दूतावास के पास हुए बम धमाके के मामले में नई अशंका इज्रायल की ओर से व्यक्त की गई है। दिल्ली में उसके राजदूत ने कहा है कि 2012 में हुए धमाकों से इस धमाके के तार जुड़े हो सकते हैं। इस बीच मीडिया में एक आतंकी संगठन का ट्वीट घूम रहा है जिसमें उसने इसकी जिम्मेदारी ली और धमकी भी दी है।
भारत में इज्रायल के राजदूत रॉन मल्का ने कहा है कि 2012 में इज्रायली दूतावास के कर्मचारी पर हुए हमले से 29 जनवरी 2021 को हुए धमाकों के तार जुड़े हो सकते हैं। इस बीच घटनास्थल से पत्र बरामद हुआ है। जिसमें ईरान में मारे गए परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह और सेना प्रमुख कासिम सुलेमानी का उल्लेख मिला था।
सूत्रों के अनुसार सायंकाल में 5 बजकर 5 मिनट जब डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर धमाका हुआ तो वहां 45 हजार मेबाइल फोन एक्टिव थे। इसके अलावा दोपहर 3 बजे से सायं 6 बजे तक यहां आनेवाली निजी टैक्सियों की भी जांच की जा सकती है। इस बीच मामले की जांच में नेशनल सिक्योरिटी गार्ड भी सम्मिलित हो गया। आशंका व्यक्त की जा रही है कि जांच में इज्रायली गुप्तचर एजेंसी मोसाद भी हिस्सा ले सकती है।
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इन जानकारियों के सामने आने के बाद जांच की दिशा तीन कोणों पर जाकर टिक गई है। जो इस प्रकार है…
पत्र से ईरान पर शक – दिल्ली धमाकों में ईरान समर्थित आतंकी समूहों के सम्मिलित होने की बातें सामने आ रही हैं। जिसका अंदेशा घटनास्थल से मिले पत्र से मिला है। इस पत्र में ब्लास्ट को ट्रेलर बताया गया है और बदला लेने की बात कही गई है। ईरान के सेना प्रमुख कासिम सुलेमानी और ईरान के परमाणु कार्यक्रम के जनक मोहसिन फखरीजादेह का नाम पत्र में लिखा गया है।
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- सेना प्रमुख कासिम सुलेमानी – ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख थे। ईरान समर्थित शिया मिलिशिया के साथ मिलकर विदेशी गुप्त अभियानों को संचालित करने का आरोप लगता रहा है। इसमें सुलेमानी की कुद्स फोर्स की प्रमुख जिम्मेदारी होती थी। सुलेमानी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खुमैनी को रिपोर्ट करते थे और उनका सम्मान राष्ट्रपति हसन रूहानी से भी अधिक था। लेकिन अमेरिका और ईरान के बीच शुरू हुए विवाद में अमेरिकी रक्षा विभाग ने कासिम की हत्या करने की बात कही थी। कासिम की हत्या 3 जनवरी 2020 को की गई थी।
- वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह – ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक और परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जाते थे। इनकी नवंबर 2020 में हत्या कर दी गई थी। मोहसिन की हत्या के लिए ईरान ने इज्रायल को जिम्मेदार ठहराया था। आरोप है कि ईरानी वैज्ञानिक की हत्या में इज्रायली गुप्तचर एजेंसी मोसाद का हाथ था।
जैश उल हिंद की धमकी – जैश उल हिंद नामक एक आतंकी समूह ने इज्रायली दूतावास से थोड़ी दूरी पर हुए धमाकों की जिम्मेदारी ली है। उसने धमकी भी दी है कि ये शुरुआत है आने वाले दिनों में अभी और भी धमाके होंगे। हालांकि, सुरक्षा एंजेसियों से इसकी पुष्टि होनी बाकी है।
पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूह – दिल्ली धमाकों के मामले में पाक समर्थित आतंकियों की भूमिका ने इन्कार नहीं किया जा सकता। इस सिलसिले में किसान आंदोलन को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से हलफनामा भी दिया गया है कि गुप्तचर संस्थाओं को मिली जानकारी से किसान आंदोलन में आतंकी विचारों से प्रेरित लोगों ने प्रवेश कर लिया है। इस सिलसिले में प्रतिबंधित संगठन खालिस्तान से जुड़े कई लोगों को पकड़ा गया था। गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड के नाम पर हुए उत्पात में भी ऐसे तत्वों की भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता।
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