क्या वरुण गांधी कर रहे हैं कांग्रेस में प्रवेश की तैयारी?

इस समय कांग्रेस की हालत ठीक नहीं है। ऐसे समय में यदि वरुण गांधी कांग्रेस का दामन थाम लेते हैं, तो कांग्रेस के लिए एक उम्मीद जग जाएगी।

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उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी जिस तरह की भाषा बोल रहे हैं, उससे लगता है कि वह पार्टी में ज्यादा दिन के मेहमान नहीं हैं। सांसद वरुण गांधी भाजपा में रहते हुए भी हमेशा पार्टी के विरोध में बयान देते हैं। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वरुण गांधी कांग्रेस में प्रवेश कर सकते हैं। वरुण गांधी के जाने से भाजपा को तो वैसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन इससे कांग्रेस को फायदा जरूर हो सकता है।

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… तो कांग्रेस की जग जाएगी उम्मीद
दरअसल, इस समय कांग्रेस की हालत ठीक नहीं है। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी को आगे कर कांग्रेस ने जो चुनावी दांव खेला था, वह भी फेल हो गया है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की डूबती नैया को पार कौन लगाए यह कांग्रेस के लिए बड़ा सवाल है। हालांकि, वरुण गांधी कांग्रेस का दामन थाम लेते हैं तो कांग्रेस के लिए एक उम्मीद जग जाएगी। वह कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगाने में थोड़ी मदद जरूर कर सकते हैं।

हाशिए पर क्यों चले गए वरुण गांधी?
सुल्तानपुर से सांसद मेनका गांधी भाजपा की कद्दावर नेता हैं। उनके बेटे वरुण गांधी ने अपनी राजनीतिक पारी हिंदुत्व के एजेंडे से शुरू की थी। हालांकि, उनको इस दौरान जेल भी जाना पड़ा। फिलहाल, वरुण गांधी भाजपा के हाशिए पर आ गए हैं। इसकी वजह उनकी महत्वाकांक्षा है। वह 2017 में मुख्यमंत्री के सपने देखने लगे थे। उनके मुख्यमंत्री उम्मीदवार के पोस्टर भी प्रयागराज की सड़कों पर लग गए थे। इसके बाद से ही वह भाजपा के हाशिए पर आ गए।

कांग्रेस खेलेगी उत्तर प्रदेश में वरुण गांधी पर दांव?
वरिष्ठ पत्रकार प्रिया सहगल का कहना है कि वरुण गांधी महत्वाकांक्षी नेता हैं। वह अपने आपको प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। शुरू से ही उन्होंने अपनी फायर ब्रांड छवि को गढ़ना शुरू कर दिया था। राहुल गांधी अभी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। ऐसे में वह कांग्रेस में फिट होंगे लगता नहीं है? लेकिन बड़ा सवाल ये है कि उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी फेल हो चुके हैं, तो ऐसे में वरुण गांधी पर दांव खेला जा सकता है। लेकिन यह इतना आसान नहीं होगा।

क्या फिर एक होगा गांधी परिवार?
सोनिया गांधी और मेनका गांधी के बीच की लड़ाई किसी से छिपी नहीं है। इंदिरा गांधी के परिवार से बेदखल किये जाने के बाद मेनका गांधी का सहारा भाजपा बनी थी। भाजपा ने केंद्र में सरकार बनने पर मेनका गांधी को मंत्री भी बनाया और उनके बेटे वरुण गांधी को सांसद भी बनाया। लेकिन ये सब बाते अब लगता है तब की हो गई हैं। हालांकि इस बीच भी लेकिन वरुण गांधी और राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के बीच हमेशा एक आत्मीयता का रिश्ता रहा है। क्या वरुण का हृदय परिवर्तन इतना हो गया है कि वह अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए राहुल गांधी और प्रियंका का नेतृत्व स्वीकार करेंगे। क्या हिन्दुत्व की बात करने वाला नेता कांग्रेस के सामने नतमस्तक हो जाएगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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