जोशीमठ भू-धसाव : जानिये, कितनी इमारतों में आईं दरारें और कितने परिवार हुए विस्थापित

9 जनवरी को सचिवालय में मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू की उपस्थिति में जोशीमठ भू-धसाव को लेकर शासन के उच्चाधिकारियों की एक बैठक हुई।

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उत्तराखंड की धामी सरकार का जोशीमठ भू-धसाव को लेकर लगातार बैठकों का दौर जारी है। इसकी एक माह में अध्ययन रिपोर्ट आएगी। अभी तक कुल 678 भवनों में दरारें आयी हैं और 81 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित किया गया है। एसीएस वित्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाएगी। सरकार के संबंधित अधिकारी प्रतिदिन इसको लेकर बैठक करेंगे। यही नहीं आज केंद्रीय टीम ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी मुलाकात की और भू धसाव के बारे में उनसे बातचीत कर उपायों के बारे में जानकारी दी।

9 जनवरी को सचिवालय में मुख्य सचिव डॉ.एसएस संधू की उपस्थिति में जोशीमठ भू-धसाव को लेकर शासन के उच्चाधिकारियों की एक बैठक हुई। इस बैठक के बाद आपदा सचिव रणजीत सिन्हा ने अहम बिंदुओं की पत्रकारों को जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने बताया कि जोशीमठ के मलारी’ और ‘माउंट व्यू’ होटलों को बेहतर तकनीकों से हटाया जाएगा। इसके लिए सीबीआरआइ की टीम निरीक्षण करेगी।

खास बातेंः
-आपदा सचिव रणजीत सिन्हा ने बताया कि यूपीसीएल और पिटकुल की टीमें जोशीमठ के लिए रवाना की गई हैं। अब प्रत्येक दिन दोपहर 12 बजे मुख्य सचिव की अध्यक्षता में मीटिंग में जोशीमठ में चल रहे हैं अध्ययन और कार्यों की समीक्षा होगी।

-उन्होंने बताया कि बीते कुछ दिनों में दरारें ज़रूर बढ़ी हैं लेकिन ये बहुत बड़ी नहीं हैं। फिर सरकार और शासन स्तर पर आपदा राहत और बचाव तेजी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विस्थापन तीन चरणों में किया जाएगा। वहां की स्थिति को देखते हुए जमीन पीपलकोटी, जड़ी बूटी संस्थान सहित अन्य स्थानों पर चिन्हित करने का कार्य जारी है।

-आपदा सचिव सिन्हा ने बताया कि अब तक 68 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थायी रूप से स्थानान्तारित किया गया है। उन्होंने बताया कि राहत और बचाव के कार्यों के साथ-साथ जांच सर्वे के कार्य को भी तेज किया जाएगा। साथ ही आईआईटी रुड़की जियोटेक्निकल स्टडी करेगी। वाडिया इंस्टीट्यूट से सिस्मिक, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी हाइड्रोलॉजिकल टेस्ट करेगा ओर इसकी रिपोर्ट भी एक माह के भीतर देनी होगी।

-जनपद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, चमोली की ओर से भू-धसाव के दृष्टिगत बताया गया कि अब तक कुल 678 भवनों में दरारें आई हैं जबकि 81 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित किया गया है। जोशीमठ नगर क्षेत्रान्तर्गत अस्थाई रूप से 213 कक्षों को निवास करने योग्य चिन्हित किया गया है जिनकी क्षमता 1191 आंकी गई है। इसके साथ ही नगरपालिका जोशीमठ क्षेत्र से बाहर पीपलकोटी में 491 कक्षों/हॉल को चिन्हित किया गया है ,जिनकी क्षमता 2205 है।

-प्रभावित परिवारों को उनकी आवश्यकतानुसार खाद्यान्न किट और कंबल वितरित किये गये हैं। 53 प्रभावित परिवारों को 5000 प्रति परिवार की दर से आवश्यक घरेलू सामग्री के लिए धनराशि वितरित की गई है। कुल 63 खाद्यान्न किट व 53 कम्बल उपलब्ध कराये गये हैं। 50 प्रभावित व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया गया है।

केंद्रीय टीम भी पहुंची उत्तराखंड 
मिनिस्ट्री आफ को अफेयर्स, स्टेट बॉर्डर, मैनेजमेंट सेकेरट्री सहित केन्द्रीय टीम राज्य के अधिकारियों संग बातचीत की है। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की है। राज्य सरकार को मदद का भरोसा दिया है। विस्तार से राहत पैकेज बनाकर केन्द्र को भेजा जाएगा। उन्हाेंने बताया कि चमोली के आसपास उद्यान विभाग की जमीन, जड़ी बूटी संस्थान और पीपलकोटी को चिन्हित किया गया है। अभी इसका प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजेंगे।

भू धसाव के लिए किए जा रहे प्रमुख कदम-

-दरार पड़े मकानों का सर्वें का काम चल रहा है।

-जीएसआई सहित अन्य संस्था का सहयोग लिया जा रहा है।

-जोशीमठ राहत कार्यों को लेकर समिति बनाई जाएगी।

-क्षेत्रीय और जनपद स्तर पर आयुक्त के अध्यक्षता में भी कमेटी बनाई जाएगी।

-सिंचाई विभाग के ड्रेनेज प्लान टेंडर पहले 20 को खुलने वाला था ,अब 13 जनवरी को खोली जाएंगे।

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