पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व प्रमुख ई अबू बकर की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान एनआईए ने कहा है कि अबू बकर जांच को बाधित करना चाहता है। एनआईए ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि उसके खिलाफ जांच चल रही है और इसी दौरान ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर कर जांच को बाधित करने की कोशिश की जा रही है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 1 फरवरी को करने का आदेश दिया।
जांच को प्रभावित करना है उद्देश्य
एनआईए ने कहा कि अबू केरल जाकर इलाज करने की अनुमति मांग रहा है। उसकी ये याचिका जांच को बाधित करने और गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश है। सुनवाई के दौरान अबू बकर की ओर से वकील अदीत एस पुजारी ने कहा कि संविधान की धारा 21 के तहत जीने के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। जीने के अधिकार में स्वास्थ्य का अधिकार और गरिमा के साथ जीने का अधिकार भी शामिल है। पुजारी ने कहा कि अबू कैंसर और पार्किंसन की बीमारी से ग्रस्त है और वो अपने शरीर की सफाई भी नहीं कर सकता है। वो दो बार टॉयलेट में गिर गया। जब वो एम्स में इलाज के लिए गया, तो उसके बेटे से मिलने की अनुमति नहीं दी गई।
अबू बकर की चालबाजी
हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर, 2022 को अबू बकर की उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था जिसमें उन्होंने अपने घर में नजरबंदी की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने कहा था कि हम आपके घर क्यों भेजे, आप अस्पताल जाइए। 14 दिसंबर, 2022 को एनआईए ने कहा था कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के पूर्व प्रमुख ई अबू बकर बिल्कुल ठीक हैं और उनका इलाज चल रहा है। एनआईए ने कहा था कि अबू बकर को जरूरत पड़ने पर अस्पताल ले जाया जाता है।
एम्स की रिपोर्ट तक रुकें इंतजार
दरअसल, 30 नवंबर 2022 को हाई कोर्ट ने अबू बकर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एम्स से मेडिकल रिपोर्ट तलब किया था। सुनवाई के दौरान अबू बकर की ओर से वकील मोहम्मद मोबीन अख्तर ने कहा था कि अबू बकर की उम्र 70 साल है। उसको दुर्लभ कैंसर के साथ ही पार्किंसन और डायबिटीज और हाईपरटेंशन समेत कई बीमारियां हैं। सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से कहा गया था कि मामले पर कोर्ट को कोई फैसला लेने से पहले एम्स की रिपोर्ट का इंतज़ार करना चाहिए।