अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में एक बार फिर राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में राजनीति गरमाने लगी है। पहाड़ी क्षेत्रों में पृथक गोरखालैंड की मांग जोर पकड़ने लगी है।
16 जनवरी को भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा के अध्यक्ष अनित थापा के नेतृत्व में दार्जिलिंग में निगम के बोर्ड गठन की प्रक्रिया शुरू हुई है। उसके पहले कैपिटल हॉल में विमल गुरुंग, विनय तमांग, अजय एडवर्ड सहित गोरखालैंड आंदोलन के सारे नेता एक मंच पर नजर आए। इनमें माकपा के जिला सचिव सुमन पाठक भी थे। मीडिया के सामने तो नहीं, लेकिन हर किसी ने यह बात उठाई कि पृथक गोरखालैंड का आंदोलन नए सिरे से शुरू किया जाएगा। इसे लेकर अनित थापा ने कहा कि यह गोरखालैंड आंदोलन का मंच नहीं है, बल्कि मुझे गाली देने के लिए एकजुटता दिखाई जा रही है।
गुरुंग ने की पृथक गोरखालैंड की मांग
विमल गुरुंग ने इस संबंध में 16 जनवरी को कहा कि गोरखा समुदाय की बेहतरी के लिए पृथक गोरखालैंड की जरूरत है और इसके लिए शांतिपूर्वक तरीके से आंदोलन होगा। उन्होंने कहा कि आंदोलन तो निश्चित तौर पर होना है हालांकि कोई हिंसा नहीं होगी, यह हर हाल में सुनिश्चित किया जाएगा।
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पार्टी के अध्यक्ष अजय एडवर्ड ने भी गोरखालैंड की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि बौद्धिक रूप से आधारित आंदोलन होना चाहिए। हमने सुना है कि सरकार उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की योजना बन रही है लेकिन अगर ऐसा हुआ तो पहाड़ के लोगों का नुकसान होगा। पृथक गोरखालैंड ही सबसे अच्छा समाधान है।
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