महाराष्ट्र के जीआर में हिंदी को बताया गया राष्ट्रभाषा! सोशल मीडिया पर चर्चा गरम

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता अनिल शिदोरे ने राज्य सरकार के जीआर में राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी के उल्लेख पर कड़ी आपत्ति जताई है।

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महाराष्ट्र सरकार ने 16 जनवरी को महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के पुनर्गठन का सरकारी फैसला जारी किया। इस आधिकारिक जीआर में पहली ही लाइन में लिखा है कि हिंदी राष्ट्रभाषा है। इसने यूजर्स को सोशल मीडिया पर चर्चा का नया विषय और राज्य में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय के इस गल्ती की हर तरफ चर्चा होने लगी है, क्योंकि हिन्दी कभी भी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं थी। भारत ने आज तक किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया है। भारत में औपचारिक उपयोग के कारण केवल यह धारणा है कि हिंदी राष्ट्रभाषा है लेकिन हमारे देश की कोई आधिकारिक राष्ट्रभाषा अभी तक नहीं है।

राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी जीआर में हिंदी को राष्ट्रभाषा के तौर पर शामिल किए जाने पर कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर किया है। अब तक अक्सर यह दावा किया जाता रहा है कि हिंदी राष्ट्रभाषा है। लेकिन भारत सरकार ने कभी भी आधिकारिक तौर पर हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित नहीं किया। केंद्र सरकार के कई निर्देश, संकल्प हिंदी और अंग्रेजी भाषा में जारी होने और हिंदी बोलने वालों की संख्या तुलनात्मक रूप से अधिक होने के कारण बहुत से लोग समझ चुके हैं कि हिंदी ही राष्ट्रभाषा है। वास्तव में, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि हिंदी राष्ट्रभाषा है। इसलिए, राज्य सरकार के जीआर में राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का उल्लेख विवाद का मुद्दा बन गया है।

मनसे ने मांगी सफाई
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता अनिल शिदोरे ने राज्य सरकार के जीआर में राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी के उल्लेख पर कड़ी आपत्ति जताई है। शिदोरे ने ट्वीट किया, सरकार के जीआर की प्रस्तावना में सबसे पहला वाक्य है “चूंकि हिंदी राष्ट्रभाषा है..” हिंदी को राष्ट्रभाषा कब घोषित किया गया था? हम समझते हैं कि हिंदी अंग्रेजी के साथ-साथ सरकार की प्रशासनिक भाषा या राजभाषा है.. कृपया स्पष्ट करें.. अनिल शिदोरे ने अपने ट्वीट में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी टैग किया है।

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