पंजाब की जेलों में बंद खालिस्तानी आतंकी अपने फुट सोल्जर तैयार कर रहे हैं। वे विदेशों में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर काम कर रहे हैं। उनके लिए मोबाइल संपर्क का एक आसान और अहम जरिया बन गया है। इसका खुलासा पंजाब पुलिस के जेलों में मारे गए छापों के बाद हुआ है । फिरोजपुर, बठिंडा, लुधियाना, खन्ना, अमृतसर, तरनतारन की जेलों में पंजाब पुलिस ने छापेमारी की है। इस छापेमारी के दौरान बड़ी तादाद में मोबाइल बरामद हुए हैं। कॉल डिटेल्स से पता चला है कि इन मोबाइल पर विदेशों से कॉल आती हैं, जबकि आउटगोइंग कॉल पंजाब के अलग-अलग जिलों में की जाती है।
फिर अशांत हो रहा पंजाब
पंजाब एक बार फिर से अशांत होता दिख रहा है। माफिया राज, गैंगस्टर और गन कल्चर की घटनाएं बढ़ रही हैं। पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट भी चिंता बढ़ा रहा है। ‘वारिस पंजाब दे’ के जत्थेदार अमृतपाल सिंह पंजाब में सक्रिय हो गया है। अमृतपाल सिंह की दस्तारबंदी भिंडरावाले के गांव रोड में हुई तो खुफिया एजेंसियां चौकस हो गई ।
कौन है अमृतपाल सिंह?
अमृतपाल सिंह 29 साल का है और हाल ही में उसने ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन की कमान संभाली है। इस संगठन की कहानी जुड़ती है अभिनेता और एक्टिविस्ट संदीप सिंह उर्फ दीप सिद्धू से, जो 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर खालसा पंथ का झंडा फहराने को लेकर चर्चा में आया था। 15 फरवरी 2022 को एक सड़क हादसे में उसकी मौत हो गई, लेकिन अपनी मौत से 6 महीने पहले यानी सितंबर 2021 में सिद्धू ने ‘वारिस पंजाब दे’ की नींव रखी थी। दीप सिद्धू की मौत के बाद अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का प्रमुख बन गया। वह अमृतसर के पास स्थित जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला है। उसने खालिस्तानी भिंडरावाले और उससे जुड़े तमाम ज्ञान इंटरनेट की बदौलत हासिल किया। पहले वह दुबई में रहकर बिजनेस करता था। अब पंजाब में रहकर खालिस्तान की मोमेंट चला रहा है
प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस
सिख फॉर जस्टिस खालिस्तान समर्थक समूह पंजाब में लोगों की भावनाओं को भड़काने और आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा है । इसका सरगना है, गुरपतवंत सिंह पन्नू। वह अमृतसर के खानकोट गांव का रहने वाला है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई के सहयोग से पन्नू पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट को जिंदा करने की कोशिश में हैं। पन्नू, अमेरिका स्थित अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस के संस्थापकों में से एक है। यह संगठन 2007 में स्थापित किया गया था। भारत सरकार ने खालिस्तान मूवमेंट में लिप्त होने के कारण इसे 2019 में प्रतिबंधित कर दिया था। यह संगठन कई वर्षों से सक्रिय है। वर्ष 2020 में इस संगठन ने अलगाववादी अभियान रेफरेंडम 2020 चलाया था ।
विदेशों में सक्रिय
पंजाब में सक्रिय खालिस्तानी आतंकी संगठनों को विदेशों से पैसा मिल रहा है। अमेरिका, कनाडा, मलेशिया में खालिस्तानी आतंकी सक्रिय हैं।