श्रीलंका के दौरे पर पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के सामने श्रीलंका ने खराब समय में मदद के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया। दोनों देशों ने ऊर्जा व पर्यटन में साझेदारी पर जोर देते हुए रिश्तों की मजबूती का संकल्प व्यक्त किया। भारत की ओर से पड़ोसी पहले का प्रधानमंत्री मोदी का संदेश दिया गया।
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर मालदीव की यात्रा समाप्त कर श्रीलंका पहुंचे हैं। 20 जनवरी को उन्होंने श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात की। उन्होंने श्रीलंकाई राष्ट्रपति को भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का पड़ोसी पहले का संदेश देकर दोनों देशों के बीच रिश्तों में गहराई की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत एक भरोसेमंद पड़ोसी और विश्वसनीय साझीदार है, जो श्रीलंका की मदद के लिए हर समय कदम बढ़ाने को तैयार है। भारत वक्त की जरूरत के हिसाब से श्रीलंका के साथ खड़ा है और पूरा विश्वास है कि श्रीलंका मजबूती के साथ इस संकट से उबर कर बाहर आएगा।
श्रीलंका के इन मंत्रियों से भारत के विदेश मंत्री ने की बात
इससे पहले श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी और अन्य मंत्रियों के साथ भारतीय विदेश मंत्री की बातचीत हुई। बातचीत के बाद ट्वीट कर जयशंकर ने कहा कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य, संचार और उद्योग जगत में दोनों देशों की संयुक्त संभावनाओं पर विचार विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि कोलंबो आने का उनका प्राथमिक उद्देश्य इन कठिन क्षणों में श्रीलंका के साथ भारत की एकजुटता व्यक्त करना है। उन्होंने कहा कि भारत विशेष रूप से ऊर्जा, पर्यटन और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में अधिक से अधिक निवेश को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय पर्यटक यहां आकर श्रीलंका के प्रति सकारात्मक भाव व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि भारतीय पर्यटकों को रूपे और यूपीआई प्रणाली से भुगतान के लिए प्रोत्साहित करके उनके आवागमन को बेहतर बना सकते हैं।
गर्मजोशी से स्वागत
श्रीलंका पहुंचने पर गर्मजोशी से भारतीय विदेश मंत्री का स्वागत किया गया। श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने श्रीलंका की मदद के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए भारत ने चार बिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन की भारी सहायता की। इस कारण संकट के दौर में श्रीलंका वित्तीय स्थिरता के कुछ उपाय हासिल करने में सफल हो सका।