शिवसेना के धनुष बाण चिन्ह शिंदे गुट का है या उद्धव गुट का, इस पर फिलहाल केंद्रीय चुनाव आयोग के समक्ष सुनवाई चल रही है। शिंदे गुट द्वारा पहले सुनवाई पूरी करने के बाद 20 जनवरी को ठाकरे गुट की सुनवाई पूरी हुई। ठाकरे गुट की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल और उनके बाद देवदत्त कामत पेश हुए। इस दलील के बाद केंद्रीय चुनाव आयोग ने सुनवाई 30 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी। साथ ही दोनों गुटों के वकीलों को संक्षिप्त लिखित निवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
30 जनवरी को दोनों गुटों से लिखित जवाब मिलने के बाद आयोग आगे की कार्रवाई करेगा। ठाकरे गुट की ओर से कपिल सिब्बल, देवदत्त कामत ने बहस की, जबकि शिंदे गुट की ओर से महेश जेठमलानी, मनिंदर सिंह ने बहस की। करीब चार घंटे चली इस सुनवाई के बाद भी ठाकरे को शिवसेना का चिन्ह धनुष बाण मिलेगा या शिंदे को? यह तय नहीं हो सका। 20 जनवरी की सुनवाई में ठाकरे और शिंदे गुट के वकीलों में जुबानी झड़प हुई। ठाकरे गुट के देवदत्त कामत और शिंदे गुट के महेश जेठमलानी के बीच हुई बहस के बाद आयोग को मध्यस्थता करनी पड़ी।
देवदत्त कामत ने क्या कहा?
देवदत्त कामत ने दावा किया कि शिवसेना का कामकाज पार्टी के संविधान के अनुसार चल रहा है। शिंदे शिवसेना में थे तो वे शिवसेना कैसे फर्जी कह सकते हैं। शिंदे गुट का यह दावा किस आधार पर है कि शिवसेना का संविधान फर्जी है? शिंदे गुट की प्रतिनिधि बैठक नहीं हुई, सादिक अली का मामला यहां लागू नहीं हो सकता। एक राजनीतिक दल के रूप में हमारी ताकत पर विचार करें। वकील कामत ने कहा कि मुख्य नेता का पद पार्टी के संविधान में नहीं है, इसलिए यह असंवैधानिक है।
महेश जेठमलानी ने क्या कहा?
उद्धव ठाकरे ने कैसे बनाया मविया? उन्होंने गठबंधन का वादा करके वोट हासिल किया और फिर मतदाताओं को छोड़ दिया। संख्या को लेकर हमारा कोई विवाद नहीं है, मुख्य नेता का पद जायज है। हमने पार्टी संविधान का पालन किया है। वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि शिंदे की बगावत ने शिवसेना में फूट पैदा कर दी है।