नौसेना के समुद्री बेड़े का हिस्सा बनी स्वदेश निर्मित पांचवीं पनडुब्बी वागीर, ये है खास बात

कलवरी श्रेणी की छह पनडुब्बियों का निर्माण फ्रांस के सहयोग से मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में किया जा रहा है

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भारतीय नौसेना की समुद्र में पानी के भीतर से युद्ध करने की क्षमता और बढ़ गई है। नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार की मौजूदगी में 23 जनवरी को कलवरी श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी वागीर भारत की समुद्री सेना के युद्धक बेड़े में शामिल की गई। इस मौके पर नौसेनाध्यक्ष ने कहा कि पनडुब्बी की क्षमताओं और मारक क्षमता से न केवल नौसेना की युद्ध क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि हमारी प्रतिरोधक क्षमता में भी मजबूती आएगी।

गहरे समुद्र का एक और प्रहरी मिला
एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि पनडुब्बी वागीर की कमीशनिंग से भारतीय नौसेना की परिचालन शक्ति और मजबूत होगी, साथ ही किसी भी दुश्मन से निपटने के लिए ताकत मिलेगी। आज का दिन नौसेना के लिए ‘लड़ाकू-तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य के बल’ के रूप में भी महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि आज गहरे समुद्र का एक और प्रहरी नौसेना को मिल गया है। उन्होंने कहा कि नौसैनिक परंपरा है कि ‘पुराने जहाज और पनडुब्बियां कभी मरती नहीं हैं।’ उस भावना को ध्यान में रखते हुए यह पनडुब्बी पूर्ववर्ती वागीर का अवतार है, जिसने तीन दशकों तक प्रतिबद्ध प्रहरी के रूप में भारत और भारतीय नौसेना की सेवा की थी।

यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं
नौसेनाध्यक्ष ने कहा कि वागीर का नाम ‘सैंड शार्क’ से लिया गया है, जो हिंद महासागर की एक घातक गहरे समुद्र की शिकारी है। अपने नए अवतार में भी अत्याधुनिक वागीर की क्षमताओं और मारक क्षमता से न केवल नौसेना की युद्ध क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि हमारी प्रतिरोधक क्षमता में भी मजबूती आएगी। वागीर 24 महीने की छोटी-सी अवधि में नौसेना में शामिल होने वाली तीसरी पनडुब्बी है। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है और यह भारत के जहाज निर्माण उद्योग के लिए हमारे शिपयार्डों की विशेषज्ञता और अनुभव का एक चमकदार प्रमाण भी है। इससे 2047 तक भारतीय नौसेना को पूरी तरह से ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए हमारे राजनीतिक नेतृत्व की प्रतिबद्धता भी झलकती है।

सबसे कम समय में तैयार हुई वागीर
पनडुब्बी वागीर का एक तरह से पुनर्जन्म हुआ है, क्योंकि इस नाम की पनडुब्बी का गौरवशाली अतीत रहा है। तत्कालीन वागीर को 01 नवंबर, 1973 को नौसेना में कमीशन किया गया था और लगभग तीन दशकों तक देश की सेवा करने के बाद 07 जनवरी, 2001 को वागीर पनडुब्बी सेवा से मुक्त कर दी गई थी। फ्रांस के सहयोग से मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में निर्मित कलवरी श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी 12 नवंबर, 20 को लॉन्च की गई और यादों को जिन्दा रखने के लिए इसका नाम ‘वागीर’ रखा गया। अपने नए अवतार में आई ‘वागीर’ का निर्माण अब तक की सभी स्वदेशी पनडुब्बियों की तुलना में सबसे कम समय में किया गया है।

कड़े समुद्री परीक्षणों की शृंखला से गुजरी
नौसेना प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक पनडुब्बी वागीर इसी साल 22 फरवरी को परीक्षण के लिए समुद्र में उतरी थी और निर्धारित समय से पहले हथियार और सेंसर सहित सभी प्रमुख परीक्षण पूरे किये हैं। कमीशनिंग से पहले पनडुब्बी व्यापक स्वीकृति जांच और कड़े समुद्री परीक्षणों की शृंखला से गुजरी है। प्रोजेक्ट-75 के तहत बनाई गई कलवरी श्रेणी की पांचवीं स्वदेशी पनडुब्बी 20 दिसंबर, 22 को नौसेना के हवाले की गई थी। प्रोजेक्ट-75 की पनडुब्बियां 50 दिन तक समुद्र में रहकर एक बार में 12 हजार किलोमीटर तक की यात्रा कर सकती हैं। इसमें 8 अफसर और 35 नौसैनिक काम करते हैं और ये समुद्र की गहराई में 350 मीटर तक गोता लगा सकती हैं।

नौसेना की क्षमता को बढ़ावा देगी
उन्होंने बताया कि यह पनडुब्बी समुद्र के अंदर 37 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। इनमें समुद्र के अंदर किसी पनडुब्बी या समुद्र की सतह पर किसी जहाज को तबाह करने के लिए टॉरपीडो होते हैं। इसके अलावा समुद्र में बारूदी सुरंगें भी बिछा सकती हैं। यह पनडुब्बी भारत के समुद्री हितों को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना की क्षमता को बढ़ावा देगी और सतह-रोधी युद्ध, पनडुब्बी-रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करना, माइन बिछाने और निगरानी मिशन सहित विभिन्न मिशनों को पूरा करने में सक्षम है। वागीर को बेड़े में शामिल करना बिल्डर के रूप में नौसेना की स्थिति मजबूत करने की दिशा में एक और कदम है।

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एडवांस चरण में छठी पनडुब्बी
इन श्रेणी की छह पनडुब्बियों का निर्माण फ्रांस के सहयोग से भारत में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में किया जा रहा है। कलवरी श्रेणी की चार पनडुब्बियों को पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जा चुका है। पहली पनडुब्बी ‘कलवरी’ 21 सितम्बर, 2017 को नौसेना में शामिल हुई थी। दूसरी पनडुब्बी आईएनएस ‘खंडेरी’ 28 सितम्बर, 2019 को नौसेना में शामिल की गई थी। तीसरी पनडुब्बी आईएनएस करंज 10 मार्च, 21 को भारतीय नौसेना में औपचारिक रूप से कमीशन की गई। प्रोजेक्ट-75 की चौथी पनडुब्बी ‘वेला’ पिछले साल 09 नवम्बर को मुंबई में भारतीय नौसेना को सौंपी गई थी, जिसे बेड़े में भी शामिल किया जा चुका है। अब पांचवीं स्वदेशी पनडुब्बी ‘वागीर’ नौसेना के बेड़े में शामिल कर ली गई। छठी पनडुब्बी भी एक उन्नत (एडवांस) चरण में है।

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