पूरा देश 27 जनवरी को जब गणतंत्र दिवस मना रहा था, उसी दौरान महाराष्ट्र की विभिन्न जेलों में बंद 189 कैदियों को हंसी-खुशी नया जीवन जीने के लिए रिहाई दी जा रही थी। यह रिहाई बंदियों की उम्र, जेल में बिताए गए समय, उनकी दिव्यांगता और स्वास्थ्य के अलावा जेल में उनके व्यवहार को देखते हुए दी गई। रिहा किए गए 162 बंदी अपनी सजा का 67 फ़ीसदी हिस्सा काट चुके थे। रिहा किए गए बंदियों में से एक तो इतना गरीब था कि वह जुर्माने की राशि नहीं भर सका और जेल में रहना पड़ा।
पुणे की यरवदा जेल प्रभारी के अनुसार उनकी केंद्रीय जेल से 20, नासिक और नागपुर की केंद्रीय जेल से 35, नवी मुंबई की तलोजा सेंट्रल जेल से 16, ठाणे सेंटर जेल से 11 और मुंबई सेंट्रल जेल से 4 बंदियों की रिहाई की गई है। आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के दौरान केंद्र सरकार ने कुछ विशेष श्रेणियों के कैदियों को उनके अच्छे चाल चरित्र में हुए परिवर्तन, दिव्यांगता बीमारी की स्थिति आदि को आधार मानकर विशेष छूट देते हुए तीन मौकों पर 15 अगस्त 22, 26 जनवरी और 15 अगस्त, 23 पर रिहा करने का निर्णय ले लिया गया था।
66 प्रतिशत सजा काट चुके थे 162 बंदी
27 जनवरी को जारी की गई सूची में बताया गया कि इन बंदियों का चयन उनकी उम्र, जेल में बिताए समय, विकलांगता और उनके स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर किया गया। रिहा किये गए बंदियों में से 16 बंदियों की उम्र 60 वर्ष से भी अधिक है और वह जेल में अपने 50 फीसदी सजा का समय काट चुके हैं। 162 बंदी सजा का 66 प्रतिशत समय जेल में काट चुके हैं। रिहा किए गए 10 बंदियों की उम्र 18 से 21 वर्ष के बीच रही है, जिन्होंने कभी भी दोबारा क्राइम नहीं किया। रिहा किया गया एक कैदी अपनी सजा तो काट चुका है, लेकिन जुर्माने की रकम जमा न करवाने की वजह से उसे रिहाई नहीं मिली। महाराष्ट्र में 9 केंद्रीय जेलों सहित कुल 60 जेल है। नवंबर, 2022 तक इन जेलों में कुल कैदियों की संख्या 40 हजार से अधिक रही है।