आज के दौर में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला कोई खेल है तो वह है क्रिकेट। इस खेल के प्रेमी आपको हर जगह मिल जाएंगे। हर एक खिलाड़ी के लाखों चाहने वाले होते हैं। इस खेल की यह भी खासियत है कि कोई खिलाड़ी चल गया तो सैकड़ा मार देता है और न चला तो शून्य पर भी आउट हो जाता है। किसी खिलाड़ी का शून्य पर आउट होना खेल प्रेमियों को उतना नहीं खलता है, जितना की उन्हें अंपायर द्वारा गलत तरीके से आउट करना खलता है। जब कोई अच्छी लय में खेल रहा हो और न आउट होते हुए भी उसे अंपायर की ओर से आउट करार दे दिया जाता है। अंपायर का यह खलत निर्णय खेल प्रमियों को बिल्कुल भी नहीं भाता है और वह विभिन्न माध्यमों से अपना गुस्सा जाहिर करते हैं। ऐसे ही अंपायर के कुछ फैसलों के बारे में आज हम आपको बताएंगे, जिसके बाद फैंस का गुस्सा फूट पड़ा।
हार्दिक पांड्या के आउट होने पर भड़के फैंस
भारत और न्यूजीलैंड के बीच 18 जनवरी को तीन मैचों की वनडे सीरीज का पहला मुकाबला राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में खेला गया। इस मैच में हार्दिक पांड्या के विकेट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। डेरिल मिचेल की गेंद पर हार्दिक पांड्या 28 रन बनाकर बोल्ड हो गए, हालांकि यह काफी करीबी मामला था। मिचेल की गेंद पर न्यूजीलैंड के कप्तान टॉम लेथम विकेटकीपिंग कर रहे थे। इस दौरान मिचेल की गेंद लेथम के दस्तानों में गई, ठीक उसी वक्त बेल्स भी गिरी, जिसके बाद मैदानी अंपायरों ने इसका निर्णय करने के लिए तीसरे अंपायर को भेज दिया। तीसरे अंपायर ने कई एंगल से इसे देखा और अंत में हार्दिक को आउट करार दिया। हार्दिक के आउट होने के बाद सोशल मीडिया पर फैंस भड़क गए। सोशल मीडिया पर इसको लेकर कई वीडियो वायरल होने लगे, जिसमें देखा जा सकता है कि गेंद बेल्स को लगने के पहले टॉम लेथम के दस्तानों में गई थी। फैंस ने तीसरे अंपायर के इस फैसले पर सवाल खड़े किए और सोशल मीडिया पर जमकर खरी-खोटी सुनाई।
भारत-पाकिस्तान मैच पर अंपायर के निर्णय पर उठे सवाल
भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी कोई मैच होता है तो चाहने वालों की धड़कने बढ़ जाती हैं। टी-20 मैच में तो सभी की निगाहें लगी रहती हैं। इस तरह के मैच में जब तीसरा अंपायर गलत फैसला देता है तो बवाल मचना स्वाभाविक है। ऐसा ही कुछ अक्टूबर, 2022 में खेले गए टी-20 वर्ड कप में देखने को मिला। पाकिस्तान की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में 159 रन बनाए थे। टीम इंडिया की शुरुआत अच्छी नहीं रही और उन्होंने 26 रन के कुल स्कोर पर अपने टॉप तीन बल्लेबाजों का विकेट खो दिया। सातवां ओवर करने आए शादाब खान की पहली गेंद को अक्षर पटेल ने खेला और रन के लिए दौड़ पड़ें, हालांकि उन्हें विराट ने वापस भेजा, लेकिन जब तक वह क्रीज पर पहुंचते रिजवान ने बेल्स गिरा दी थी। हालांकि, रीप्ले में दिखा कि बाबर आजम ने जब गेंद रिजवान को दी तो वह गेंद को सही से नहीं पकड़ पाए और वह लड़खड़ा गए, ऐसे में बेल्स उनका हाथ लगने के कारण गिरी या गेंद के टकराने से गिरी यह साफ नहीं हो पाया था। उनके दस्ताने में भी गेंद नजर नहीं आ रही थी। हालांकि, अंपायर ने फिर भी आउट करार दे दिया था। अंपायर के इस फैसले के बाद भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का गुस्सा फूट पड़ा था। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने दिल की भड़ास निकाली थी।
जब अंजिक्य रहाणे को मिला जीवनदान
अंपायर के गलत फैसले का ऐसा ही कुछ नजारा भारत और इंग्लैंड के बीच फरवरी, 2021 में चेन्नई में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में देखने को मिला। यहां पारी के 75वें ओवर के दौरान जैक लीच की गेंद पर अंजिक्य रहाणे ने गेंद खेलने की कोशिश की और गेंद हवा में उछली गई। जिसे ओली पोप ने लपक लिया। अंपायर ने इसे नॉटआउट करार दिया। इंग्लैंड ने रिव्यू लेने का फैसला किया। रिप्ले से पता चला कि गेंद बल्ले को नहीं छुई और इसके तुंरत बाद तीसरे अंपायर ने नॉटआउट का फैसला सुना दिया था। हालांकि, गेंद के पैड से टकराने के अलावा वह रहाणे के ग्लव्स से भी छुई थी, जिसे तीसरे अंपायर ने नहीं देखा। इस तरह से अंजिक्य रहाणे को तो जीवनदान मिल गया, लेकिन इंग्लैंड के फैंस इस फैसले से खासे नाराज नजर आए।
…तब खिलाड़ियों ने जताई थी नाराजगी
भारत और दक्षिण अफ्रिका के बीच जनवरी, 2022 में केपटाउन में खेले जा रहे सीरीज के आखिरी टेस्ट मैच में भी बवाल मच गया। आर अश्विन ने 26वें ओवर की पहली गेंद फेंकी जो सीधा डीन एल्गर के पैर पर लगी। एलबीडब्ल्यू की अपील हुई तो अंपायर ने भी आउट दे दिया। दक्षिण अफ्रिका के कप्तान एल्गन ने तुरंत डीआरएस लिया तो तीसरे अंपायर ने नॉट आउट दे दिया। इस फैसले पर मैदान में खड़े अंपायर भी हैरान हो गए। तीसरे अंपायर के इस फैसले पर विराट कोहली, केएल राहुल के अलावा कई खिलाड़ियों ने नाराजगी जाहिर की थी।
अंपायर का सबसे विवादित फैसला
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 2008 में खेली गई बॉर्डर-गावस्कर सीरीज अब तक सबसे ज्यादा विवादों में रही। इसके विवादों में रहने की मुख्य वजह अंपायर का फैसला रहा। इस मैच में अंपायर स्टीव बनकर थे। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने अच्छी बैटिंग की थी और बड़ा स्कोर खड़ा किया था। भारत 333 रनों का पीछा कर रहा था। 38 रन पर खेल रहे राहुल द्रविड़ का बल्ला पैड के पीछे ही था। रिप्ले में बताया गया था कि बल्ले और गेंद का कोई संपर्क नहीं हुआ। इसके बाद भी बकनर ने राहुल द्रविड़ को आउट करार दिया था। बनकर ने एक और गलत फैसला लिया। उसी मैच में इशांत शर्मा की गेंद पर एंड्रयू साइमंड्स विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी को कैच दे बैठे थे, लेकिन बकनर ने उन्हें नॉटआउट करार नहीं दिया था। साइमंड्स उस समय 30 रनों पर थे और बाद में उन्होंने 162 रनों की पारी खेली थी। खास बात यह है कि इस मैच में अंपायर बनकर द्वारा लिए गए फैसले को उन्होंने खुद ही गलत बताया। बकनर ने उस सीरीज को लेकर कहा था कि मैंने सिडनी टेस्ट 2008 में दो गलितयां कीं। पहली गलती तब की जब भारत अच्छा कर रहा था, ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज को शतक बनाने दिया। दूसरी गलती मैच के पांचवें दिन किया, जिसके कारण शायद भारत को मैच गंवाना पड़ा।