केंद्र सरकार ने बेनामी लेन-देन कानून के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए इस मामले की सुनवाई खुले न्यायालय में करने की मांग की। तब कोर्ट ने मामले पर सुनवाई का भरोसा दिया।
दरअसल, 23 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी संपत्ति के लिए तीन साल की सजा का कानून निरस्त कर दिया था। तीन साल की सजा का प्रावधान बेनामी ट्रांजेक्शन (प्रोहिबिशन) एक्ट की धारा 3(2) में था । तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा था कि संपत्ति जब्त करने का अधिकार पिछली तारीख से लागू नहीं होगा। यानी पुराने मामलों में इस कानून के तहत कार्रवाई नहीं होगी।
केंद्र सरकार ने दायर की याचिका
केंद्र सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था कि बेनामी ट्रांजेक्शन कानून में संशोधन पिछली तारीख से लागू नहीं होगा। इस कानून के तहत सरकार को संपत्ति जब्त करने का मिला अधिकार पिछली तारीख से लागू नहीं हो सकता है। इसका मतलब है कि पुराने मामलों में इस कानून के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती है। बेनामी संपत्ति का मतलब है कि वैसी संपत्ति जिसकी कीमत किसी और ने चुकाई और नाम किसी दूसरे व्यक्ति का हो। यह संपत्ति पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर भी खरीदी गई होती है। ऐसा काला धन छुपाने के लिए किया जाता है।