पिछले कुछ समय से अपने दरबार में चमत्कार को लेकर सुर्खियों में बने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार किसी विवाद के कारण नहीं, बल्कि गृहस्थ जीवन की शुरुआत को लेकर चर्चा हो रही है। दरअसल, धीरेंद्र शास्त्री जल्द ही शादी के बंधन में बंधने वाले हैं। इसकी घोषणा उन्होंने 31 जनवरी को बागेश्वर धाम में लगे दिव्य दरबार में की। हालांकि अभी उन्होंने अपनी शादी को लेकर बहुत ज्यादा जानकारी नहीं दी है कि वे किससे शादी करेंगे, कब और कहा करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि जब भी शादी होगी तो उसका टीवी पर प्रसारण भी होगा।
पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री का दरबार लगा। लंबे समय बाद धाम पहुंचे धीरेंद्र शास्त्री का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। आधी रात को शास्त्री भीड़ से मिलने बाहर निकले। इस दौरान दिव्य दरबार से ही धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी शादी को लेकर बड़ा खुलासा कर दिया।
शादी के बंधन में बंधने की घोषणा
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वे जल्द ही विवाह बंधन में बंधेंगे। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हमारी शादी की बात चलती रहती है। हम कोई साधु महात्मा नहीं है। हम बहुत ही सामान्य इंसान हैं और अपने ईष्ट बालाजी के चरणों में ही रहते हैं। हमारी परपंपरा में बहुत से महापुरुष गृहस्थ जीवन में रहे हैं। भगवान भी गृहस्थ जीवन में ही प्रकट होते हैं। यानी पहले ब्रह्मचारी, फिर गृहस्थ, वानप्रस्थ और फिर सन्यास की परंपरा है। उसी पर अग्रसर होंगे। उन्होंने कहा है कि वे जल्द शादी करेंगे और लोगों को बुलाएंगे। लेकिन अधिक लोगों को नहीं बुला सकते। क्योंकि उनकी व्यवस्थाएं नहीं हो पाएंगी। इसलिए शादी का टीवी पर लाइव प्रसारण किया जाएगा। जिससे सभी लोग शादी में शामिल हो जाएंगे।
रामचरित मानस को अपमानित करने वालों को दिया जवाब
इस दौरान बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने रामचरित मानस को अपमानित करने वालों को जवाब देते हुए कहा कि ऐसे लोगों को भारत में रहने का अधिकारी नहीं है, इन्हें जवाब देना चाहिए, ताकि लौटकर के टेढ़ी निगाह से नहीं देखें। वीडियो बयान जारी कर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा हमारे भारत के संविधान के प्रथम पृष्ठ भगवान श्री सीताराम का अंकन है। जिस संविधान का प्रथम पृष्ठ ही भगवान राम से प्रारंभ होता हो, भगवान राम के आदर्शों से प्रारंभ होता हो। उन भागवान राम की जीवन गाथा श्री रामचरित मानस, जो हमारे भारत का एक अनूठा ग्रंथ है, उसके प्रति इस प्रकार का कोई कृत्य किया जाता है यह घोर निदंनीय है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस को राष्ट्रीय धर्म घोषित होना चाहिए, क्योंकि रामचरितमानस राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित होगा तो रामराज्य आएगा। रामराज्य आएगा तो प्रजा प्रसन्न होगी, प्रजा प्रसन्न होगी तो भारत विश्व गुरू बनेगा। इसलिए प्रत्येक सनातनी, साधु महात्मा चाहते हैं कि बहुत जल्द रामचरिमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए और सरकार को करना चाहिए। भारतीय नागरिक होने के नाते हमारी यह मांग है।