मोरबी झूलता पुल हादसा मामले में आरोपित ओरेवा ग्रुप के मालिक जयसुख पटेल ने 31 जनवरी को मोरबी न्यायालय में वकील की मौजूदगी में आत्मसमर्पण कर दिया। कोर्ट ने आरोपित पटेल को पुलिस का सौंप दिया है। पटेल 90 दिन से भूमिगत थे।
मोरबी झूलता पुल हादसे में ओरेवा ग्रुप के प्रबंधन निदेशक (एमडी) जयसुख पटेल ने मोरबी सेशन्स कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी, जिस पर 1 फरवरी को हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी। इससे पूर्व ही उन्होंने 31 जनवरी को दोपहर 3 बजे के करीब मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट में हाजिर होकर आत्मसमर्पण कर दिया। कोर्ट में आत्मसमर्पण करने के बाद आरोपित को पुलिस को सौंप दिया।
10वें आरोपी हैं जयसुख पटेल
माना जा रहा है कि पुलिस मोरबी ब्रिज दुर्घटना के 10वें क्रमांक के आरोपित जयसुख पटेल की रिमांड की मांग करेगी। इस मामले में शुरुआत में जयसुख पटेल का नाम आरोपित के रूप में दाखिल नहीं किया गया था, लेकिन कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के बाद सुनवाई और लगातार निगरानी के दबाव में उन्हें मुख्य आरोपित बनाया गया।
पुलिस ने घोषित की थी फरार
पुलिस ने इस केस में 27 जनवरी को सेशन्स कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। इसमें जयसुख पटेल को फरार आरोपित के रूप में दर्शाया गया था। कुल 1262 पन्ने के आरोप पत्र में घटना को लेकर गंभीर लापरवाही बरतने का उल्लेख किया गया है। सस्पेंशन ब्रिज की मरम्मत कार्य के लिए नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया। आरोप है कि जयसुख पटेल ने तकनीकी संस्थान से ब्रिज की मजबूती के संबंध में स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट भी प्राप्त नहीं किया था। ब्रिज की मरम्मत में तकनीकी स्टाफ के बजाए स्थानीय फेब्रिकेटर से काम कराया गया। आरोप पत्र में यह भी उल्लेख है कि दुर्घटना के बाद ओरेवा ग्रुप ने बचाव कार्य में सहयोग भी नहीं किया।
यह थी घटना
मोरबी के मणि मंदिर के समीप और मच्छु नदी पर 140 साल पुराना झुलता पुल 30 अक्टूबर, 2022 को शाम 6 बजकर 32 मिनट पर टूट गया था। इस दुर्घटना में 135 लोगों की मौत हो गई थी। जानकारी के अनुसार हादसे के वक्त पुल पर क्षमता से अधिक 400 लोग मौजूद थे, जबकि पुल पर 100 से अधिक लोगों की मौजूदगी को ही खतरा था।