29 जनवरी को उत्तर प्रदेश में अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के कार्यकर्ताओं ने स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में रामचरितमानस की प्रतियां जलाई थीं। मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने स्वामी प्रसाद मौर्य सहित 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर 5 को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, रामचरितमानस की प्रतियां जलाए जाने को लेकर हरिद्वार के संतों में स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके समर्थकों के खिलाफ आक्रोश देखा जा रहा है। संतों ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
रामचरितमानस की प्रतियां जलाए जाने का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने अपना विरोध जताया है। श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का विरोध किया। उन्होंने कहा कि नेताओं को धर्म के विषय में टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। धर्म के विषयों को धर्माचार्यों पर छोड़ देने चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने जो भी कहा है, वह बिल्कुल असत्य है और ऐसे बयानों से समाज में वैमनस्य फैलता है।
सपा को चेतावनी
श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने सपा प्रमुख से मांग की कि वे अपने कार्यकर्ताओं पर लगाम लगाएं। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से रामचरितमानस की प्रतियां जलाने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का विरोध किया है।
कड़ी कार्रवाई की मांग
श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा रामचरितमानस पर टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा अगर ऐसे लोग सत्ता में आ गए तो साधु-संतों को ये लोग फांसी तक चढ़ा देंगे। काली सेना के प्रमुख ने भी कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में 17 प्रतिशत लोगों के वोट के खातिर रामचरितमानस को लेकर जिस तरह से टिप्पणियां की जा रही हैं, वह उचित नहीं है।
घटना दुर्भाग्यपूर्ण
उन्होंने कहा जिस प्रदेश का नेतृत्व एक संन्यासी कर रहा हो, उस प्रदेश में राम और रामचरितमानस को लेकर इस तरह की टिप्पणियां दुर्भाग्यपूर्ण हैं। उन्होंने सरकार से मांग कि वह ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। अगर सरकार ऐसा करने में विफल होती है तो काली सेना दुष्टों को खुद सजा देने को विवश होगी। स्वामी प्रसाद मौर्य और 20 अन्य के खिलाफ काली सेना द्वारा मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है।