उड़ता पंजाब न बन जाए पुणे, युवाओं को ऐसे बनाया जा रहा है ड्रग एडिक्ट

पुणे पुलिस कमिश्नर रितेश कुमार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों को मानें तो हर वर्ष एनडीपीएस के मामलो में बढ़ोतरी हो रही है।

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मादक पदार्थों की रोकथाम एवं राज्य में बिकने आ रही अफीम, स्मेक, डोडा पोस्त, चरस, गांजा, हेरोइन, ब्राउन शुगर आदि की धरपकड़ के सारे प्रयासों को धत्ता बताते हुए तस्कर ग्राहकों तक अपना माल पहुंचा ही देते हैं। इनके एजेंट नए ग्राहक फांसने के लिए शुरू- शुरू में युवाओं को इसकी लत लगाते हैं ,और आदत पड़ने पर उनसे पैसे वसूलना प्रारंभ कर देते हैं ।इन मादक पदार्थों की आदत लगने के बाद युवक कुछ भी कर जाते हैं ,नशे के लालच में युवक अपराध के दलदल में फंसते जाते हैं ।अब तक पुलिस ने अनेकों ऐसे नशेड़ीओं को पकड़ा है जो नशे की लत के लिए कई गंभीर अपराध कर चुके हैं।

नशे के साथ कराई जाती है तस्करी भी
नशेड़ियों से रकम ऐंठने की एवज में माल बिकवाली का काम भी इन तस्करों के द्वारा करवाया जाता है। कई नशेड़ी पुड़िया बेचते हैं ,माल खरीदने के बाद दूसरों को बेचते हैं, और बचा हुआ माल खुद धुएं में उड़ाते हैं ।इस तरीके से एजेंट पुलिस कार्रवाई से बचे रहते हैं ।पुणे पुलिस ने कई बार ऐसे स्मेकचियो को पकड़ा जो खुद आदतन नशेड़ी हो चुके हैं ।उन्हीं के जरिए बड़े सप्लायर तक पुलिस पहुंची भी है, हाल ही में सवा करोड़ का गांजा भी पकड़ा है।

बढ़ रही है मादक पदार्थों की तस्करी
पुणे पुलिस कमिश्नर रितेश कुमार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों को मानें तो हर वर्ष एनडीपीएस के मामलो में बढ़ोतरी ही हुई है तथा कई कार्यवाही के दौरान गांजा ,डोडापोस्त,अफीम, स्मेक, यहां तक कि पुलिस ने ब्राउन शुगर ,मार्फिन, तथा कोकीन की भी बरामदगी कर महाराष्ट्र पुलिस का गौरव बढ़ाया है।

विभाग लाचार, क्षेत्र बड़ा साधन कम
स्वापक औषधि और मन: प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम 1985 के तहत मादक पदार्थों की धरपकड़ के लिए कार्यरत विभाग के बड़े अधिकारी भी मानते हैं कि उनका क्षेत्राधिकार काफी बड़ा है ,अन्य राज्यों तक। लेकिन उनके पास इतने साधन नहीं है जितने होने चाहिए ।फिलहाल उन्होंने राज्य एवं अपने क्षेत्राधिकार तक मुखबिरो की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया है। अधिकारी मानते हैं कि अपराधी नए-नए तरीकों को ईजाद करते हुए मादक पदार्थों की तस्करी कर ही देते हैं।

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इस कारण छूट जाते हैं तस्कर
विभाग के लिए परेशानी यह भी है कि कई बार पुलिस की मिलीभगत या कोताही बरतने से तस्कर सबूतों के अभाव में बरी हो जाते हैं, और फिर इसी कारोबार में जुट जाते हैं ।अमूमन जब्त माल को साक्ष्य के दौरान कोर्ट में पेश नहीं करना, वजह सबूत में छेड़छाड़ ,माल जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी नहीं करना, अधिनियम के प्रावधानों की पालना नहीं करना, जैसी खामियों से तस्करों को लाभ मिल जाता है और छूट जाते हैं। हालांकि नियमों में यह भी है कि धारा 52 ए एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों की पालना पुलिस अधिकारी को आवश्यक रूप से करनी होती है और वह नहीं करता है तो उसके खिलाफ धारा 32 एनडीपीएस के तहत दंडनीय कार्यवाही हो सकती है।

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