संयुक्त राष्ट्र संघ का दावा है कि अफगानिस्तान न सिर्फ एशिया की अशांति की बड़ी वजह है, बल्कि वह आतंकवाद का केंद्र भी बना रहेगा। संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट में इसके पीछे अफगानिस्तान की तालिबानी सत्ता को बड़ी वजह करार दिया गया है।
आतंकी संगठन एशिया में अशांति की वजह
संयुक्त राष्ट्र संघ की एनालिटिकल सपोर्ट एंड सेक्शन्स मॉनीटरिंग टीम की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और लेवैंट-खुरासान, अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, इस्लामिक जिहाद ग्रुप, खतिबा इमाम अल बुखारी, खतिबा अल तौहीद वल-जिहाद, जमात अंसारुल्लाह और अन्य कई आतंकी संगठनों की अफगानिस्तान से ही शुरुआत हुई। ये आतंकी संगठन एशिया में अशांति की वजह हैं। इन आतंकी संगठनों को अफगानिस्तान में आज भी पूरी आजादी मिली हुई है। इसी कारण अफगानिस्तान को एशिया में अशांति की बड़ी वजह करार दिया गया है।
तालिबान को मिल रही है कड़ी चुनौती
तालिबान शासन में अफगानिस्तान में लचर सुरक्षा व्यवस्था का दावा करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान को अफगानिस्तान में आईएस-खुरासान से कड़ी चुनौती मिल रही है। खुरासान अफगानिस्तान के लोगों को यह अहसास कराना चाहता है कि तालिबान उन्हें सुरक्षा देने में नाकाम हो रहा है और इसीलिए यह संगठन लगातार अफगानिस्तान में आतंकी हमले कर रहा है। आईएस-खुरासान अन्य देशों के साथ तालिबान के रिश्तों को भी कमजोर करना चाहता है। बीते दिनों कई दूतावासों पर हुए हमलों में भी खुरासान गुट का नाम सामने आया था।
इन देशों पर हमले की तैयारी
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खुरासान गुट चीन, पाकिस्तान और भारत में भी आतंकी हमले करने की तैयारी कर रहा है। आईएस-खुरासान में आतंकियों की संख्या करीब छह हजार बताई जा रही है और यह अफगानिस्तान के कुनार, नांगरहर और नूरीस्तान जैसे प्रांतों में सक्रिय है।
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अल कायदा को लेकर दावा
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अल कायदा की ताकत में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। अल जवाहिरी की मौत के बाद भी अल कायदा अफगानिस्तान में अपनी जगह बनाए हुए है। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता कब्जाने के बाद तहरीक ए तालिबान की भी ताकत में इजाफा हुआ है। जिसके बाद से यह आतंकी संगठन पाकिस्तान में कई बड़े आतंकी हमलों को अंजाम दे चुका है।