मराठी समाज उत्तर प्रदेश के द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती पर राजधानी लखनऊ में शोभा यात्रा की अनुमति मांगी गई थी। जिसकी अनुमति देने के बाद पुलिस ने अड़ंगा लगा दिया है, जबकि आगरा किले में शोभा यात्रा निकालने की अनुमति दे दी है। यह अनुमति आगरा के स्थानीय संगठनों मांगी थी।
लखनऊ पुलिस का अजब कारभार है, महंत योगी आदित्यनाथ के राज में छत्रपति शिवाजी महाराज की शोभा यात्रा को लेकर अड़ंगे खड़े किये जा रहे हैं। हालांकि, जहां लखनऊ पुलिस शोभा यात्रा में कानूनी पेंच खड़ा करके अनुमति निरस्त कर दी है वहीं, आगरा किले में शोभा यात्रा की अनुमति मिल गई है। आगरा के राष्ट्राभिमानी संगठनों में इससे हर्ष है, जबकि लखनऊ में दशकों से रहनेवाले मराठी समाज के लोग लखनऊ पुलिस के रवैय्ये से क्षोभित हैं।
क्या है पुलिस की दलील?
संयुक्त पुलिस आयुक्त पीयूष मोर्डिया के द्वारा जारी पत्र में लिखा गया है कि, 19 फरवरी, 2023 को जुलूस निकालने की अनुमति दे दी गई थी। परंतु, इस संबंध में अन्य विभाग/संस्था से अनुमति लेना आवश्यक हुआ तो वह लेकर पुलिस कार्यालय में मांगने पर प्रस्तुत करें। इसी आधार पर अनुमति को रद्द कर दिया गया है।
आगरा किले में मुख्यमंत्री योगी और एकनाथ शिंदे अतिथि
आगरा किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अंतर्गत आता है। वहां पर अन्य कार्यक्रमों की अनुमति पूर्व में दी जाती रही हैं, लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती के कार्यक्रम का आयोजन की अनुमति नकार दी गई थी। जिसके बाद अजिंक्य देवगिरि पाऊंडेशन के विनोद पाटील ने न्यायालय में गुहार लगाई। इसका परिणाम सकारात्मक रहा और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने किले के दीवान-ए-आम में शिव जयंती कार्यक्रम के अयोजन की अनुमति दे दी है।
इस कार्यक्रम का आयोजन देवगिरि फाऊंडेशन और महाराष्ट्र सरकार के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अतिथि के रूप में सम्मिलित होंगे।
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आगरा किले का महत्व
छत्रपति शिवाजी महाराज की शूरता से अपनी भूमि खो रहे औरंगजेब ने 1666 में राजे को आगरा किला आने का निमंत्रण दिया था। औरंगजेब की इस नीति के पीछे के षड्यंत्र को छत्रपति शिवाजी महाराज ने उसी समय समझ लिया लेकिन अपनी शूरता को राजे औरंगजेब की नजरों में नमित नहीं करना चाहते थे। इसके बाद औरंगजेब ने अपनी कुटिल चाल के अंतर्गत छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके पुत्र संभाजी को यहीं कैद कर लिया।