विश्व हिंदी सम्मेलन बनेगा ‘महाकुंभ’!: एस.जयशंकर

फिजी में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन का समापन हो गया। इस अवसर पर विश्व भर के हिंदी सेवियों ने अपने विचार और उपस्थिति से इस सम्मेलन को कुंभ का रूप दे दिया।

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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि विश्व हिंदी सम्मेलन भविष्य में हिंदी का महाकुंभ बनेगा। साथ ही हिंदी को विश्व भाषा बनाने के पुण्य संकल्प में जुटे हिंदी प्रेमियों को महत्वपूर्ण मंच उपलब्ध कराएगा। यह बात उन्होंने यहां आयोजित तीन दिवसीय 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन समारोह में कही।

जयशंकर ने कहा कि हिंदी को विश्व भाषा बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि सभी हिंदी प्रेमी मिलजुल कर काम करें। उल्लेखनीय है कि इस सम्मेलन में 30 से अधिक देशों के 1000 से अधिक विद्वानों और साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। समापन समारोह में फिजी के उप प्रधानमंत्री बिमान प्रसाद भी मौजूद रहे। समापन समारोह में देश–विदेश में हिंदी के प्रचार, प्रसार व विकास के लिए काम कर रहे 25 विद्वानों और संस्थाओं को सम्मानित भी किया गया।

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फिजी संग भारतीय रिश्ते ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे’ जैसे
भारतीय विदेश मंत्री ने हिंदी और इसके प्रभाव पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने फिजी के राष्ट्रपति विलियम कैटोनिवरे का जिक्र करते हुए कहा कि किस तरह से उनपर हिंदी फिल्मों का असर पड़ा। उनके मुताबिक फिजी के राष्ट्रपति कैटोनिवरे ने उन्हें हिंदी फिल्मों के उन पर पड़े गहरे प्रभाव के बारे में बताया है। फिजी के राष्ट्रपति की पसंदीदा फिल्म शोले है और वे इस फिल्म के गीत ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे’ को हमेशा याद रखते हैं। इसी तरह दोनों देशों के रिश्ते भी मजबूत दोस्ती और दोस्ती न तोड़ने वाले हैं। विश्व हिंदी सम्मेलन को एक महाकुंभ करार देते हुए कहा कि यहां पूरी दुनिया से हिंदी प्रेमी आए हैं। यह हिंदी के विषय में एक वैश्विक नेटवर्क का मंच बनेगा। उन्होंने हिंदी को वैश्विक भाषा बनने का लक्ष्य बताते हुए कहा कि इस तरह का सम्मेलन हिंदी से प्यार करने वाले लोगों के आपस में जुड़ने का मंच बनना चाहिए। उन्होंने बताया कि फिजी सरकार ने फिजी में हिंदी के साथ-साथ तमिल व अन्य भाषाओं की शिक्षा भी शुरू करने पर सहमति दे दी है।

समारोह के बाद ट्वीट कर भारतीय विदेश मंत्री ने लिखा कि दोनों देशों की संस्कृति और परंपरागत विशेषताएं परस्पर सम्मान और सहयोग का मजबूत आधार हैं। फिजी और भारत के साथ-साथ 31 देशों से आए प्रतिभागियों ने भी इस आयोजन को भव्यता प्रदान की। समापन समारोह में विशिष्ट विद्वानों को सम्मानित भी किया गया। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में फिजी और भारत के सशक्त सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों की छवि स्पष्ट रूप से दिखाई दी। समारोह के दौरान विश्व भर से आये 900 से ज्यादा विद्वानों और हिंदी प्रेमियों द्वारा हिंदी के व्यापक प्रचार-प्रसार के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर सकारात्मक चर्चा हुई। ऐसे आयोजनों से अन्य भारतीय भाषाओं के विस्तार को भी बल मिल रहा है।

भारतीय विदेश मंत्री ने समापन समारोह में सहभागिता के लिए फिजी के उपप्रधानमंत्री बिमन प्रसाद का आभार व्यक्त किया।

फिजी में मिलेगी हिंदी और तमिल की शिक्षा
इस मौके पर फिजी के उप प्रधानमंत्री बिमन प्रसाद ने कहा कि भारत की तरफ से यहां पर हो रहे सांस्कृतिक मुद्दों को आगे बढ़ाने के लिए हम यहां पर हो रही हिंदी, तमिल आदि शिक्षण की मांग को पूरा करने के लिए हम तैयार हैं। फिजी में हिंदी भाषा का प्रचार और प्रसार पिछले 140 वर्षों से हो रहा है। आज जब मैं अपने पूर्वजों को याद करता हूं तो वह अपने साथ रामायण, गीता तो नहीं लाए थे, लेकिन अपने साथ वह अपनी संस्कृति साथ में लाए थे।

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