बिहार की नीतीश सरकार महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए तरह तरह के अभियान चला रही है। छात्राओं को स्वावलंबी और सशक्त बनाने के लिए सरकार उन्हें प्रोत्साहन राशि भी मुहैया कराती है। योजना के तहत रकम जिलों में पहुंच तो जाता है लेकिन लाभार्थी इससे वंचित रह जाते हैं। जब विद्यार्थी सरकार के दिए गए छात्रवृति की मांग करते हैं तो बदले में उनसे टालमटोल किया जाता है। इसी को लेकर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में कलह का माहौल थमने का नाम नहीं ले रहा है। 20 फरवरी को बीबीए वोकेशनल कोर्स की छात्राओं ने विश्वविद्यालय परिसर के बाहर विश्वविद्यालय के कुलपति की दोहरी नीति को लेकर विरोध जताया।
छात्राओं का आरोप
छात्राओं ने कहा कि मुख्यमंत्री विकास योजना के तहत स्नातक पूरा करने के पश्चात छात्राओं को पच्चास हज़ार छात्रवृत्ति दी जानी थी। लेकिन स्नातक पास करने के एक साल बाद भी प्रोत्साहन राशि छात्राओं के खाते में नहीं पहुंची है। छात्राओं ने कहा की डीएसडब्ल्यू से लेकर विश्वविधालय के तमाम अधिकारियों के दफ्तर में विगत कई महीनों से चक्कर लगाने पर भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ है। पूरा सिस्टम लिपापोती पर उतर आया है।
परीक्षा नियंत्रक के पास से भी मिला निराशा
छात्राओं ने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि राज्य के तमाम विश्वविद्यालय में छात्राओं को यह राशि मुहैया करा दी गई है, जबकि ढूल मूल रवैए के लिए प्रचलित भागलपुर विश्वविद्यालय इस मामले में भी निचले पायदान पर ही है। अंततः छात्राएं परीक्षा नियंत्रक अरुण कुमार सिंह के दफ्तर पहुंची। जहां उन्हें निराशा ही हाथ लगी। परीक्षा नियंत्रक ने छात्राओं को वहां से चले जाने को कहा। अरुण कुमार सिंह ने कहा कि कन्या उत्थान राशि का जिम्मा उनके हाथ में नहीं है।