सर्वोच्च न्यायालय ने 2020 के दिल्ली दंगों के आरोपित ताहिर हुसैन की अपने खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा रद्द करने की मांग खारिज कर दी है। जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मामले में अभी आरोप तय होने की प्रक्रिया चल रही है। हम दखल नहीं देंगे।
इसके पहले 24 नवंबर, 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट ने ताहिर हुसैन की याचिका खारिज कर दी थी। सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन की ओर से पेश वकील ने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपराध से धन कमाने के तत्व निहित होते हैं लेकिन इस मामले में ये तत्व नहीं है। ताहिर हुसैन के पास से इस अपराध से संबंधित कोई संपत्ति भी जब्त नहीं की गई, जो आरोप तय करने के ट्रायल कोर्ट आदेश को सही ठहरा सके।
धारा 3 और 4 के तहत आरोप तय करने का आदेश
गौरतलब है कि 4 नवंबर, 2022 को कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोपित ताहिर हुसैन के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था । कड़कड़डूमा कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था। 19 फरवरी, 2022 को कोर्ट ने इस मामले के सह-आरोपित अमित गुप्ता को सरकारी गवाह बनने की अनुमति दी थी।
एक करोड़ दस लाख रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप
16 अक्टूबर, 2020 को ईडी ने चार्जशीट दाखिल की थी । ईडी ने ताहिर हुसैन और अमित गुप्ता को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत धारा 3 के तहत आरोपित बनाया है। चार्जशीट में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों में ताहिर द्वारा धनराशि लगाने का आरोप लगाया है। ईडी के मुताबिक करीब सवा करोड़ रुपये से दंगों के लिए हथियारों की खरीदारी की गई। ईडी के मुताबिक ताहिर हुसैन और उससे जुड़े लोगों ने एक करोड़ दस लाख रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की। दंगों के लिए एकत्रित किए गए इस धन को फर्जी कंपनी के जरिये नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल रहे धरना-प्रदर्शनों में लगाया गया।