दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि दूसरे राज्यों की पुलिस की ओर से दिल्ली पुलिस को सूचित किए बिना कोई कार्रवाई करने की घटना दोबारा न हो। जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच दिल्ली से एक युवा जोड़े को बिना दिल्ली पुलिस को सूचना दिए गाजियाबाद पुलिस द्वारा उठाकर ले जाए जाने के मामले पर सुनवाई के दौरान ये बातें कहीं। कोर्ट ने यूपी सरकार के एडवोकेट जनरल को नोटिस जारी कर सुनवाई की अगली तिथि पर पेश होने का निर्देश दिया।
23 फरवरी को सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के पहले के आदेश के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज कोर्ट में पेश किया। सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि फुटेज में काट-छांट की गई है और उसमें जो लोग आए और जो युवा जोड़े को उठाकर ले गए उनका चेहरा साफ नहीं दिख रहा है। ऐसे फुटेज चाहिए जिसमें पहचाना जा सके।
यह है मामला
इसके पहले कोर्ट ने युवा जोड़े को बिना दिल्ली पुलिस को सूचना दिए ले जाने पर गाजियाबाद पुलिस से कड़ा एतराज जताया था। कोर्ट ने आनंद पर्वत थाने के सब इंस्पेक्टर को निर्देश दिया है कि जोड़े के निवास वाले किसी भी सीसीटीवी कैमरे का फुटेज एकत्र करें और ये पता लगाएं कि घटना वाले दिन जोड़े के आवास में कौन प्रवेश किया और कौन निकला।
हाई कोर्ट जोड़े की सुरक्षा की मांग पर सुनवाई कर रहा है। लड़की 19 साल की है, जबकि लड़का 21 साल का है। लड़की ने अपने रिश्तेदारों से जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि लड़का और लड़की ने हिन्दू रीति रिवाज के मुताबिक दिल्ली के एक आर्य समाज मंदिर में शादी की थी। 13 फरवरी को उनकी शादी का प्रमाण-पत्र भी जारी किया गया था।
16 फरवरी को कोर्ट ने आनंद पर्वत के एसएचओ को जोड़े की सुरक्षा का आदेश दिया था। कोर्ट ने जोड़े के निवास स्थान वाले बीट कांस्टेबल को अपना फोन नंबर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। इस आदेश के बाद जोड़े ने हाई कोर्ट से कहा कि यूपी की मोदीनगर पुलिस थाने के पुलिसकर्मी 16 फरवरी की आधी रात को आए और उनकी बिना मर्जी के उन्हें अपने साथ गाजियाबाद ले गए। अगले दिन उसे एक कोर्ट में ले जाया गया जहां उसका बयान दर्ज किया गया। 16 फरवरी की रात को लड़के ने आनंद पर्वत के एसएचओ और बीट कांस्टेबल को फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
सुनवाई के दौरान आनंद पर्वत थाने के सब इंस्पेक्टर ने बताया कि 16 फरवरी की रात में यूपी पुलिस के आगमन और प्रस्थान की उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई थी। इस पर हाई कोर्ट ने आपत्ति जताई और सीसीटीवी फुटेज समेत स्टेटस रिपोर्ट तलब किया है। ये पहला मौका नहीं है जब हाई कोर्ट ने यूपी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया है।
28 अक्टूबर 2021 को एक महिला से उसके माता-पिता की मर्जी के बिना शादी करने पर युवक के पिता और भाई को दिल्ली से गिरफ्तार करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार लगाई थी। जस्टिस मुक्ता गुप्ता की बेंच ने यूपी पुलिस से कहा था कि यूपी में चलता होगा, यहां नहीं।
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