पालघर के खूबसूरत समुद्री तटों पर मौसम के अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं। ऐसे में विदेशी पक्षी हजारों किलोमीटर का सफर तय करके यहां अपना प्रजनन करने पहुंचते हैं। जिससे साल के ज्यादार महीनों में यहां के समुद्री तट पर विभिन्न प्रकार के दुर्लभ पक्षियों का जमावड़ा रहता है। अमूर बाज (अमूर फाल्कन) ऐसा ही एक पक्षी है, जो कि यहां करीब 22,000 किलोमीटर का रास्ता तय करके पहुंचता है। इन दिनों पालघर का माकुनसार गांव विदेशी मेहमानों की चहचहाहट से गुलजार हो रहा है।
माकुनसार ग्राम पंचायत की पहल पर पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता के अध्ययन के रूप में पक्षियों की गिनती करवाई गई ताकि पक्षियों का सरंक्षण किया जा सके। सह्याद्री मित्र संस्था और नेस्ट संस्था की टीम ने माकुनसार खाडी, मालजुई बांध और खारलैंड में पक्षियों की देशी और विदेशी प्रजातियों की गणना की गई। माकुनसार क्षेत्र विभिन्न पक्षियों के लिए सबसे अच्छा निवास स्थान बनता जा रहा है। यहां की खाड़ी और मीठे पानी के बांध, खारलैंड और पूर्व से पश्चिम में जंगली क्षेत्रों में कई स्थानीय और दुर्लभ विदेशी पक्षी देखे जाने लगे हैं। जानकारो का कहना है कि यहां के खारलैंड में पक्षियों को आसानी से भोजन मिल जाता है।
पिछले कुछ वर्षों से विदेशी मेहमानों के लिए यहां के कई स्थान काफी प्रसिद्ध हो रहे हैं। पक्षियों को देखने लोग भी पहुंच रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता नागेश वर्तक की पहल पर वसई विरार शहर महानगरपालिका की तरह यहां भी पक्षियों की गणना की शुरुआत की गई।
माकुनसार में हुई पक्षियों की गणना के लिए माकुनसार, सफ़ाले, केलवे, पालघर, बोईसर, चिंचनी और मुंबई के पक्षी प्रेमियों सहित नेस्ट के आशीष बाबरे, प्रीतम घरत और सह्याद्री मित्र के निकेत पाटिल, दीपक पाटिल, उमेश पाटिल आदि शामिल रहे। गणना में पक्षियों की यहां कुल 91 प्रजातियों को पाया गया। इनमें से 36 प्रवासी पक्षी प्रजातियों के साथ 55 स्थानीय पक्षी की प्रजातियों को पाया गया।
प्रवासी पक्षियों में अमूर फाल्कन, साइबेरियन स्टोनचैट सैंडपाइपर, वूली नेक स्टॉर्क पेंटेड स्टॉर्क, यूरेशियन स्पूनबिल, ग्रे बगुला, एरगोट्स शामिल हैं।
स्थानीय पक्षियों में तित्वी, होल, खांड्या,वेडाराघू, सुभग, कोतवाल, बुलबुल, चिराक, शिंजिर, तुतारी और महाराष्ट्र का दुर्लभ राज्य पक्षी हरोली (पीला पैर वाला हरा कबूतर) पाया गया।
माकुनसार में पक्षियों की गणना के रिकॉर्ड एशियन बर्ड सेंसस, ई-बर्ड, बीएनएचएस और वन विभाग-महाराष्ट्र सरकार को भेजे जाएंगे। इससे विश्व पटल पर विविध प्रकार के पक्षी पाए जाने वाले स्थान के रूप में माकुनसर गांव को भी एक पहचान मिलेगी।
विदेशी मेहमानों और स्थानीय पक्षियों के लिए पसंदीदा स्थानों के रूप में माकुनसार उभर रहा है। एनईएसटी के विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की कि यहां के खारलैंड को संरक्षित किया जाना चाहिए।
माकुनसार ग्राम पंचायत को स्थानीय स्तर पर पक्षी गणना करने वाली जिले की पहली ग्राम पंचायत होने का गौरव प्राप्त हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता नागेश वर्तक ने कहा कि हम निश्चित रूप से पक्षियों और उनके आवास को संरक्षित करने का प्रयास करेंगे। सह्याद्री मित्र संस्था के अध्यक्ष दीपक पाटील ने कहा कि
माकुनसार में अफ्रीकी साइबेरिया और रूस सहित अन्य देशों से बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी आते हैं। पक्षियों की गणना की गई है और इनके सरंक्षण के प्रयास किए जा रहे है।
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