सीआरपीएफ के आईजी ऑपरेशन एमएस भाटिया ने 2 मार्च को कहा कि बुलेट-प्रूफ वाहन, वॉल-थ्रू राडार और ड्रोन कश्मीर में सीआरपीएफ द्वारा अपने आतंक-रोधी अभियानों में शामिल किए गए कुछ नए गैजेट हैं, जो आतंकवादियों के खिलाफ सटीक-आधारित कार्रवाई के लिए अग्रणी हैं।
इनमें से कई हाई-टेक उपकरणों का इस्तेमाल पुलवामा में 28 फरवरी के ऑपरेशन में टीआरएफ के दो आतंकियों के खिलाफ किया गया था, जो बैंक गार्ड के रूप में काम करने वाले कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या में शामिल थे।
उन्होंने कहा कि 28 फरवरी की मुठभेड़ में हमने एक क्रिटिकल सिचुएशन रिस्पांस व्हीकल (वीएसआरवी) का इस्तेमाल किया, जो बुलेट प्रूफ है और इसका इस्तेमाल कमरे में हस्तक्षेप करने या दुश्मन को घेरने के लिए किया जा सकता है। इसका टर्निंग रेडियस बहुत कम है। यह बुलेटप्रूफ है और इसका इस्तेमाल दीवारों पर चढ़ने के लिए किया जा सकता है। हमारे पास बुलेट-प्रूफ जेसीबी भी हैं, जिनका उद्देश्य एक जैसा है।
सीएसआरवी और जेसीबी में एक फोर्कलिफ्ट पर बुलेट-प्रूफ केबिन लगा होता है ताकि सुरक्षाकर्मी खतरे के संपर्क में आए बिना दुश्मन के खिलाफ ऊंचाई का फायदा उठा सकें।
सीएसआरवी केबिन 180 डिग्री सुरक्षा प्रदान करता है जबकि जेसीबी बुलेट प्रूफ केबिन के अंदर सैनिकों के लिए 360 डिग्री सुरक्षा प्रदान करता है। आईजी ने कहा कि सुरक्षा बलों द्वारा ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है और उन्होंने घाटी में आतंक विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि ड्रोन कुछ ऐसा है, जो हमारे काफिलों की आवाजाही के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों की निगरानी के लिए हमारे द्वारा तेजी से उपयोग किया जाता है। अमरनाथ यात्रा के दौरान भी ड्रोन का खूब इस्तेमाल होता है। हम ऑपरेशनल परिदृश्यों में मुठभेड़ की स्थितियों का पता लगाने के लिए भी ड्रोन का उपयोग करते हैं, यह देखने के लिए कि दुश्मन कहां छिपा है या उसे बेअसर कर दिया गया है या नहीं।
वॉल-थ्रू राडार और हैंड-हेल्ड थर्मल इमेजर्स अन्य ऐसे गैजेट हैं, जिन्होंने जटिल ऑपरेशन में जवानों के लिए जोखिम कम किया है। आईजी ने कहा कि सीआरपीएफ ने 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद घाटी में पूरे राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीसीटीवी निगरानी जैसी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया है।
उन्होंने कहा कि हमने एनएच पर 14 नाके बनाए हैं। सभी सीसीटीवी कैमरों से लैस हैं और फुटेज की जांच की जाती है तथा अधिकारियों द्वारा चौबीसों घंटे इसका विश्लेषण किया जाता है। आईजी ने कहा कि सीआरपीएफ द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों की बुलेट प्रूफिंग को बड़े पैमाने पर लिया गया है।
एक सवाल के जवाब में आईजी एमएस भाटिया ने कहा कि हमने एमपी-5 राइफलें खरीदी हैं लेकिन कुछ स्थितियों में कुछ खास हथियारों का इस्तेमाल होता है इसलिए एमपी-5 हथियार हमारे पास घाटी में जरूर हैं लेकिन हालात के हिसाब से ही इस्तेमाल किए जाते हैं। हम अपनी टेलीस्कोपिक बंदूकों का भी इस्तेमाल करते हैं लेकिन घाटी में हम जिन हथियारों का इस्तेमाल करते हैं उनमें एके-47 है।
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