भारत की ओर से जी-20 विदेश मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक में यूक्रेन संघर्ष के कारण परस्पर विरोधी पक्षों के बीच तालमेल की कोशिश पूरी तरह सफल नहीं हो सकी, जिसके कारण संयुक्त वक्तव्य की बजाए मेजबान देश के रूप में भारत ने अध्यक्षीय सारांश जारी किया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बैठक के बाद 2 मार्च को पत्रकार वार्ता में कहा कि विश्व के सामने मौजूद और विशेषकर विकासशील व कम विकसित देशों से जुड़े मुद्दों के बारे में प्रायः एक जैसी राय थी। लेकिन यूक्रेन संघर्ष के बारे में मतभेद कायम थे। मतभेद दूर करके एक संयुक्त वक्तव्य जारी करने की कोशिश सफल नहीं हुई, जिस कारण बैठक के नतीजों के बारे में सारांश जारी किया गया।
मतभेद के कारण नहीं जारी हो पाया था संयुक्त वक्तव्य
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों के संगठन जी-20 के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक प्रमुखों की बैठक में यूक्रेन संघर्ष पर मतभेदों के कारण संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं हो पाया था। अध्यक्ष के रूप में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठक का सारांश जारी किया था।
यूक्रेन संघर्ष के कारण विकासशील देशों देशों पर प्रतिकूल असर
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष के कारण विकासशील देशों देशों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। भारत पिछले एक वर्ष से कहता आया है कि ‘वैश्विक दक्षिण’ देशों के लिए जीवन-मरण का सवाल है। यह देश ईंधन, उर्वरक और खाद्य की उपलब्धता की समस्या से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण ‘वैश्विक दक्षिण’ के देश पहले से ही कर्ज समस्या का सामना कर रहे हैं। यूक्रेन संघर्ष उनके लिए ओर अधिक घातक सिद्ध हुआ है। यही कारण है कि भारत का प्रयास रहा है कि इन्हीं मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित किया जाए।
जयशंकर ने कहा कि विश्व व्यवस्था और बहुपक्षवादी व्यवस्था की बात करना तभी विश्वसनीय और व्यवहारिक होगा, जब प्रभावित देशों की समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित किया जाए।
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