छत्रपति शिवाजी महाराज के ‘हिंदवी स्वराज्य’ का एक अभिन्न अंग उनके द्वारा बनवाए गए अभेद्य किले हैं। हालांकि, छत्रपति शिवराय के पराक्रम की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत रहे इन किलों की स्थिति आज दयनीय हो गई है। आज उन पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है। किलों के संरक्षण करने और अतिक्रमण की रोकथाम के लिए राज्य सरकार को स्वतंत्र किला-दुर्ग निगम की स्थापना करनी चाहिए। स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने 3 मार्च को इस मांग को लेकर निकाले जाने वाले महामोर्चे में भारी संख्या में लोगों से शामिल होने की अपील की है।
मेट्रो आईनॉक्स सिनेमा से मोर्चे का शुभारंभ
महाराष्ट्र के कई किलों पर घर, कब्र, दरगाह, मस्जिद और अन्य निर्माण कर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है। यदि छत्रपति शिवराय की विरासत को बचाना है तो किलों पर से इन अतिक्रमणों को तत्काल हटाया जाना चाहिए। प्रदेश में दुर्गों की कुल संख्या, अतिक्रमणों की सीमा, संरक्षण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार के लिए यह परम आवश्यक हो गया है कि उनके संरक्षण करने के साथ ही सुरक्षा और अतिक्रमणों की रोकथाम के लिए किला निगम स्थापित किया जाए।
रणजीत सावरकर ने कहा कि इसके लिए मुंबई में दुर्ग रक्षा महामोर्चा का आयोजन किया गया है। मार्च 3 मार्च शुक्रवार को दोपहर 12 बजे मेट्रो आईनॉक्स सिनेमा से शुरू होकर आजाद मैदान पर समाप्त होगा। रणजीत सावरकर ने यह भी कहा कि इस मोर्चे में विभिन्न संप्रदायों, हिंदू संगठनों, धर्म-प्रेमी नागरिकों के साथ-साथ राज्य भर के विभिन्न किला-प्रेमी संगठन और छत्रपति शिव राय के मावलों के 25 से अधिक वंशज भाग लेंगे।
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