नासा( NASA)से जुड़े वैज्ञानिक इस धरती से अलग जीवन की तलाश में वर्षों से जुटे हैं। इसी क्रम में उन्हें मंगल पर जीवन मिलने के संकेत मिले थे, लेकिन नई जानकारी मिलने के बाद उन्हें निराशा हाथ लगी है। दरअस्ल नासा के वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च के बाद एक नई थिअरी डेवलप की है। मंगल की सतह पर स्थित रेत को देखकर वैज्ञानिकों ने एक अहम थिअरी डेवलप की है। इससे पहले भविष्य में वहां इंसानों की बस्ती बसाने की बात कही जा रही थी। एसईटीआई इंस्टीट्यूट की सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट जैनिस बिशप की टीम की थिअरी के अनुसार मंगल की बंजर सतह के नीचे बर्फ की पतली सतह होने की संभावना है। इस वजह से यहां भूस्खलन आम बात है। सतह के नीचे से मलबा खिसक जाता है और जमीन अंदर धंस जाती है।
मानव बस्ती बसाना मुश्किल
सूर्य की किरणें जब यहां पड़ती हैं तो उसकी गर्मी से बर्फ पिघलने लगती है। इससे सतह का मलबा ढीला और भुरभुरा हो जाता है। इस वजह से वहां चलनेवाली तूफानी हवा में इसकी सतह के रेत उड़ते रहते हैं। सतह के नीचे बर्फ, क्लोरीन सॉल्ट और सल्फेट सिंकहोल बनाते हैं। इससे जमीन धंसने का खतरा पैदा हो जाता है। इससे वहां मानव का बसना काफी मुश्किल होगा। मार्स रिकोनाइजेशन ऑर्बिटर के हाई रेजलूशन इमोजिंग साइंस एक्सपेरिमेंट डेटा से इस बात की पुष्टि हुई है कि सूरज की ओर जहां स्लोप होता है, वहां ये देखने को मिलता है।
PRESS RELEASE: https://t.co/LlaHVOpRIh
A team of researchers led by SETI Institute Senior Research Scientist Janice Bishop, a member of the SETI Institute NASA Astrobiology Institute (NAI) team, has come up with a theory about what is causing landslides on the surface of Mars. pic.twitter.com/f9AL8oHUZX
— The SETI Institute (@SETIInstitute) February 3, 2021
इस तरह की गई स्टडी
बता दें कि पृथ्वी की मंगल जैसी जगहों से सैंपल पर लैब में स्टडी की गई- जैसे अटकामा रेगिस्तान और अंटार्कटिका। इसमें देखा गया कि क्लोरीन सॉल्ट और सल्फेट पर मंगल जैसे कम तापमान में क्या असर होता है। इस स्टडी में मिट्टी-50 डिग्री सेल्सियस पर बर्फ में तब्दील हो गई। इससे -40 और -20 डिग्री सेल्सियस के बीच बर्फ की शीट तैरती मिली।
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मंगल पर बर्फ होने का दावा
रिसर्च में पहले की स्टडीज में निकले परिणाम को आधार बनाया गया है। जिनमें मंगल पर बर्फ होने का दावा किया गया था। मंगल की सतह पर कम दबाव के कारण लिक्विड पानी की मौजूदी संभव नहीं होती, लेकिन वैज्ञानिकों को काफी वक्त से संभावना रही है कि यहां पानी हो सकता है। अरबों साल पहले जब यहां सागर और झीलें थीं। हो सकते हैं उनके कोई निशान बाकी हों। अगर यहां इस तरह का कोई जलाशय मिलता है तो मंगल पर जीवन की उम्मीद की जाकती है।
तीन विशाल सॉल्टवाटर झील
मंगल के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ के नीचे तीन विशाल सॉल्टवाटर झीलें मिलने की बात एक स्टडी के दौरान सामने आई थी। ऐसी ही झीलें पृथ्वी पर भी होती हैं, जिनमें एक्सट्रेमोफिल्स यानी सूक्षमजीव रहते हैं। ये बहुत ही गर्म या ठंडे पर्यावरण मे रह सकते हैं। ये जीव बिना ऑक्सीजन, जीरो से कम तापमान और नमकीन पानी में भी जीवित रह सकते हैं, जबकि इस परिस्थिति में दूसरे जीव जिंदा नहीं रह सकते। धरती पर ये अंटार्कटिका के डीप लेक में पाए जाते हैं और मंगल पर भी इनके होने की संभावना है।