भारत और चीन के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच भारत जहां चीन को बॉर्डर पर शिकस्त दे रहा है, वहीं उसे आर्थिक तौर पर भी भारी नुकसान पहुंचाना शुरु कर दिया है। भरतीय सेना ने चीनी सेना को पीछे हटने के लिए जहां मजबूर कर दिया है, वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद चीन के 106 ऐप बन्द किए जाने से चीन को अरबों रुपये का नुक्सान हुआ है। इसके साथ ही देशवासियों को स्वदेशी सामान के प्रति जागरता के कारण पिछले 6 माह में भारतीय व्यापारियों ने चीन से अपने आयात और निर्यात को काफी कम लिया है। कच्चे माल के लिए नये देश की तलाश
फिलहाल भारत के व्यापारी रॉ मटेरियल के लिए अन्य देशों के विकल्प ढूंढ़ने शुरु कर दिए हैं। भारत के व्यापारी प्रति वर्ष चीन के बाजारों से स्टील, लोहा,एल्युमीनियम,खाने के तेल, कपड़े,लेदर के हैंड बैग,ट्रैवल बैग, स्टोन -सीमेंट, सिरामीक्स प्रोडक्ट , घड़ियां, फर्नीचर्स और इलेक्ट्रॉनिक के हजारों करोड़ रुपये के समान मंगाते हैं।
चीन से आयात में भारी कमी
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी डाटा रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2019-2020 मे जहां चीन से 11222 करोड़ रुपए का स्टील और लोहा आयात किया गया था, वहीं वित्त वर्ष 2020-2021 के पहले 6 माह में सिर्फ 1982 करोड़ रुपए का आयात किया गया है। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी निर्यात के कुछ खास आंकड़े इस प्रकार हैं, जो सबसे ज्यादा चीन से आयात किए जाते हैं ।
चीन से आयात – वर्ष 2019 -2020 —–2020 -2021(15 सितं. तक)
आयरन व स्टील- 11222 करोड़ —- 1982 करोड़
एलुम्युनीयम – 6759 करोड़— 883 करोड़
लेदर बैग व ट्रैवल बैग- 2248 करोड़– 131 करोड़
फर्नीचर -‐—– 6353 करोड़– 686 करोड़
इलेक्ट्रॉनिक वस्तु— 135219 करोड़– 17920 करोड़
सिरामिक्स प्रोडक्ट– 2440 करोड़। –383 करोड़
यह लिस्ट यहीं नहीं रुकती है। यो तो 6 वस्तुएं हैं, जिनकी आयात घटी हैं। ऐसे 96 वस्तुएं हैं, जिन्हें हम प्रति वर्ष 461525 करोड़ रुपए देकर आयात करते थे, जो अब घट कर 83557 करोड़ रुपए रह गया है। यह तो सिर्फ 15 सितम्बर 2020 तक का आंकड़ा है। यदि चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो उसकी अर्थ व्यवस्था की भारत वाट लगा देगा।
पीएम मोदी की अपील का असर
भारत जो वस्तुएं चीन से मंगा रहा था, वही वस्तुएं अब अन्य देशों जैसे अमेरिका, आस्ट्रेलिया,कनाडा,जापान,स्वीटजर लैंड और रुस से मंगाने शुरु कर दिए हैं, जबकि पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर बनो के ऐलान के बाद से कुछ वस्तुएं भारत में ही बननी शुरु हो गई हैं।