प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से अपील की है कि वे 5 फरवरी को राज्यसभा में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा दिए गए भाषण को अवश्य सुनें। उन्होंने यह अपील ट्वीट कर की है। पीएम ने कहा कि कृषि मंत्री तोमर ने राज्यसभा में कृषि कानूनों से जुड़े सभी पहलू को लेकर विस्तार से जानकारी दी है। ट्वीट में पीएम ने एक यू-टयूब का लिंक भी शेयर किया है।
बता दें कि केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को लेकर 5 फरवरी को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार लगातार किसानों से बात करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कृषि कानूनों से जुड़े हर एक पहलू पर विस्तार से जानकारी दी। तोमर इस दौरान विपक्ष पर जमकर बरसे।
कृषि कानून पर विपक्ष कर रहा है राजनीति
तोमर ने कहा कि विपक्ष सरकार को किसान आंदोलन के मुद्दे पर घेर रहा है और तीनों नए कृषि कानूनों को काला कानून बता रहा है। लेकिन इन कानूनों में काला क्या है, वो ये भी तो बताए। कृषि मंत्री ने बताया कि नए कानून के तहत किसान अपने उत्पाद को कहीं भी बेच सकेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र का ये कानून राज्य सरकार के टैक्स को खत्म करता है, जबकि राज्य सरकार का कानून टैक्स देने की बात करता है। तोमर ने कहा कि जो टैक्स लेना चाह रहे हैं, आंदोलन उनके खिलाफ होना चाहिए, लेकिन यहां उल्टी गंगा बह रही है। पंजाब सरकार के एक्ट के मुताबिक अगर किसान कोई गलती करता है तो उसे सजा होगी, लेकिन केंद्र सरकार के एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
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कांग्रेस करती है खून से खेती
कृषि मंत्री ने कहा कि हमने संगठनों के साथ 12 बार बात की, लेकिन उनके खिलाफ कुछ नहीं कहा और बार-बार यही कहा कि आप क्या बदलाव चाहते हैं, वो हमें बता दीजिए। अगर हमारी सरकार कानून में बदलाव लाने को तैयार है तो ये नहीं है कि कृषि कानून ही गलत है। सिर्फ एक राज्य के किसानों को बरगलाया जा रहा है। किसानों को डराया जा रहा है। खेती पानी से होती है लेकिन कांग्रेस ही है, जो खून से खेती करती है। केंद्र सरकर ने जो कानून लाया है, उसके मुताबिक किसान कभी भी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से अलग हो सकता है।
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किसान ढाई महीने से कर रहे हैं आंदोलन
बता दें कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर किसान दिल्ली की सीमाओं पर करीब ढाई महीने से आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि केद्र के नये कृषि कानूनों से मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और उनके खेत कॉर्पोरेट कंपनियों के कब्जे में चले जाएंगे।