शिवसेना निष्ठ ही रहेंगे भूषण देसाई, ठाकरे गुट को जय महाराष्ट्र

शिवसेना किसकी इस पर चुनाव आयोग ने निर्णय देते हुए उसका नेतृत्व एकनाथ शिंदे के हाथ सौंप दिया है। शिवसेना और ठाकरे गुट के बीच नेताओं की उछल कूद भी चल रही है।

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ठाकरे परिवार के निष्ठावान सुभाष देसाई के पुत्र ने पिता से अलग राह अपना ली है। उन्होंने शिवसेना के साथ रहने का निश्चय किया है। अर्थात ठाकरे गुट के प्रति निष्ठा को लेकर उन्होंने बड़ा निर्णय ले लिया है।

सुभाष देसाई के पुत्र हैं भूषण देसाई, जिन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मिलकर उनका साथ देने का निर्णय किया है। इसी के साथ एक ही घर में पिता पुत्र ही दो गुटों में बँट गए हैं। इसके पहले गजानन कीर्तिकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का साथ दिया था।

बालासाहेब और शिवसेना के अलावा मुझे कुछ भी पता नहीं। बालासाहेब का विचार वर्तमान में कोई आगे ले जा रहा है तो, वह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे हैं। मैंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ काम किया है, उन्हें करीब से जानता हूं। इसलिए मैंने उनके साथ रहने का निर्णय किया है।
भूषण देसाई – शिवसेना

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ठाकरे के कर्तव्यनिष्ठ देसाई के घर बँटवारा?
सुभाष देसाई को ठाकरे परिवार का नजदीकी कहा जाता रहा है। वे बालासाहेब ठाकरे के साथ राजनीति में आए थे और उद्धव ठाकरे व आदित्य ठाकरे के साथ सक्रियता से खड़े रहे हैं। लेकिन उद्धव ठाकरे व आदित्य ठाकरे के युग में शिवसेना में हुई फूट में कई नेता इधर-उधर हो गए। जिसमें नया नाम सुभाष देसाई के पुत्र भूषण देसाई का है, जिन्होंने शिवसेना अर्थात मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का साथ देते हुए भगवा थाम लिया। सुभाष देसाई शिवसेना के नेता हैं और प्रबोधन प्रकाशन में निदेशक पद पर हैं। इसके अलावा ठाकरे परिवार के निकटवर्तीय लोगों में से एक हैं। प्रबोधन प्रकाशन ही सामना, मार्मिक और हिंदी सामना का प्रकाशन करता है।

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