दिल्ली उच्च न्याायलय ने 11 मार्च को पब्लिशिंग कंपनी पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया की ओर से यस बैंक के सह संस्थापक राणा कपूर पर लिखी एक पुस्तक के प्रकाशन और वितरण पर रोक लगाने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। न्यायालय ने इस मामले में राणा कपूर को नोटिस जारी किया है। जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने कपूर को 24 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
कपूर पर लिखित पुस्तक का नाम है ‘द बैंकर हू क्रश्ड हिज डायमंड्स : द यस बैंक स्टोरी’ । पत्रकार फुरकान मोहरकान लिखित ये पुस्तक 2021 में छपी थी। कपूर ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि पुस्तक पर उनके खिलाफ गलत आरोप लगाये गए हैं। उन आरोपों से उनके खिलाफ चल रहे जांच पर असर पड़ेगा। 22 दिसंबर, 2021 को ट्रायल कोर्ट ने पुस्तक के प्रकाशन और वितरण पर अंतरिम रोक लगाई थी। 28 जनवरी को ट्रायल कोर्ट ने अंतरिम रोक के आदेश पर मुहर लगा दी थी।
पेंगुइन ने याचिका में कहा है कि पुस्तक के छपने के 11 महीने बाद कपूर ने ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता की ओर से वकील त्रिदिप पेस ने कहा कि कपूर को पुस्तक के छपने की जानकारी जून 2020 में ही थी, जब लेखक ने उनकी बेटी से संपर्क उनका पक्ष लिया था। राणा कपूर की बेटी ने अपने वकील के जरिये पुस्तक को नहीं छापने की चेतावनी भी दी थी। पेंगुइन ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट ने पुस्तक पर रोक लगाने की वजह नहीं बताई और ऐसा कर उसने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन किया है। ट्रायल कोर्ट का आदेश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
कपूर पर यस बैंक के 466 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा करने के आरोप हैं। यस बैंक ने अपनी शिकायत में कहा था कि ओयेस्टर बिल्डवेल की एक सहयोगी कंपनी ने एक पावर प्लांट का ठेका लेने के लिए दिसंबर 2017 में दस सालों के लिए 515 करोड़ रुपये का लोन लिया था। कंपनी लोन की ईएमआई नहीं दे रही, जिसके बाद उसे 30 अक्टूबर, 2019 को एनपीए करार दिया गया।
2020 में सीबीआई ने यस बैंक के पूर्व एमडी राणा कपूर और उनके परिवार के सदस्यों को 307 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी कर अवंता रियल्टी में रिश्वत के रूप में एक बंगला खरीदने के मामले में केस दर्ज किया था।
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