केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय जांच एजेंसियों की जांच और अडाणी-हिंडनबर्ग मामले पर खुलकर अपनी बात रखी है। इस विवाद की जांच संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग पर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस मामले में संज्ञान लिया है। इसके लिए कोर्ट ने एक समिति का गठन भी किया है। उन्होंने कहा कि सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियां निष्पक्ष रूप से काम कर रही हैं और दो को छोड़कर सभी मामले यूपीए सरकार के दौरान दर्ज किए गए थे।
… तो अदालतों में दें चुनौती
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि विपक्ष द्वारा लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं और अगर उन्हें लगता है कि जांच एजेंसियां निष्पक्ष जांच नहीं कर रही हैं, तो वह अदालतों में चुनौती दे सकते हैं। अमित शाह ने कहा कि ये जांच एजेंसियां अदालत से ऊपर नहीं हैं। किसी भी नोटिस, प्राथमिकी और आरोपपत्र को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
शाह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि वे कह रहे हैं कि जांच एजेंसियां सही से काम नहीं कर रही हैं तो वह इसके लिए अदालत जाएं बाहर क्यों चिल्ला रहे हैं? यदि किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप है तो उसकी जांच होना क्या गलत है?
लोगों को नहीं लगाने चाहिए बेबुनियादी आरोप
शाह ने कहा कि जब कांग्रेस नीत संपग सरकार के 10 साल के शासन के दौरान 12 करोड़ रुपए के घोटालों के आरोप लगे थे, उस समय सरकार ने स्थिति को शांत करने के लिए सीबीआई के माध्यम से मामला दर्ज किया था। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अगर कोई मनी लांड्रिंग का मामला है तो ईडी उसकी जांच करने के लिए बाध्य है।
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अडानी मामले में शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के साथ दो सदस्यीय समिति बनाई है और सभी को जाना चाहिए और उनके पास जो सबूत हैं उन्हें जमा करना चाहिए। शाह ने कहा कि अगर कुछ गलत हुआ है तो किसी को बख्शा नहीं जाना चाहिए। सभी को न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास होना चाहिए। लोगों को बेबुनियाद आरोप नहीं लगाने चाहिए, क्योंकि वे लंबे समय तक नहीं चल सकते।
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