राजस्थान: माकन भी हार मान गए, ‘भारत जोड़ो’ यात्रा पहुंचने के पहले ‘पद छोड़ो’ की इच्छा जताई

राजस्थान में कांग्रेस हाईकमान के नेतृत्व परिवर्तन के सभी प्रयत्न फेल होते रहे हैं। राज्य की राजनीति में गहलोत गुट सचिन पायलट को अलग थलग रखने का कोई प्रयत्न नहीं छोड़ता।

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राज्य में कांग्रेस विधायकों की गोलबंदी से दुखी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन हार मान गए हैं। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर राजस्थान प्रभारी पद छोड़ने की पेशकश की है। माकन के प्रभारी रहते राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने विद्रोह का बिगुल फूंक दिया था। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राज्य में पहुंचने के पहले यह पेशकश बड़ा झटका माना जा रहा है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने 25 सितंबर, 2022 को विद्रोह करके कांग्रेस नेतृत्व की बात न सुनने का जो पायलट दिखाया था, उससे प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन दुखी हैं। माकन ने, कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर किसी अन्य नेता को राजस्थान प्रभारी की जिम्मेदारी देने की पेशकश की है।

दिसंबर महीने के पहले सप्ताह में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान पहुंचेगी। कांग्रेस सरकार होने के कारण राज्य में इस यात्रा की तैयारियां भी बड़े स्तर पर की गई है, लेकिन उसके पहले अजय माकन के पद छोड़ो निर्णय से चर्चा गरम हो गई है। अजय माकन हाईकमान के अति विश्वसीनय माने जाते हैं।

हार गए माकन, लौट गए मल्लिकार्जुन
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए हाईकमान ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कहा था। लेकिन इस पद के लिए गहलोत को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ता। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री के रूप में हाईकमान की पसंद थे सचिन पायलट। लेकिन गहलोत समर्थक विधायकों ने विद्रोह कर दिया। इन विधायकों को मुख्यमंत्री के रूप गहलोत या उनके स्थान पर गहलोत गुट का कोई विधायक ही चाहिये था। उस समय इस प्रकरण को शांत करने और विधायकों को मनाने के लिए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को नियुक्त किया गया था।

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कांग्रेस हाईकमान के विश्वसनीय दोनों नेताओं के सामने ही गहलोत समर्थक विधायकों ने नियमों का उल्लंघन कर दिया। बैठक में बुलाए जाने पर भी विधायक नहीं आए और उन्होंने कांग्रेस हाईकमान को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विधायकों के इस बर्ताव से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी पल्ला झाड़ लिया था। इसके बाद अजय माकन भी हार मान गए और मल्लिकार्जुन खड़गे को बैरंग ही दिल्ली लौटना पड़ा था।

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